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Saturday 6th of July 2024
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ज़िन्दगी की बहार-16

युवावस्था इंसान के जीवन का बहुत ही संवेदनशील, मीठा और हंगामों से भरा हुआ दौर होता है। यह ऐसा दौर होता है, जिसमें इंसान का व्यक्तित्व एक स्वरूप धारण करता है और उसके भीतर विरोधाभासी विशेषताएं उजागर होती हैं। एक ओर प्रेम और आशा की किरणें फूटती हैं, तो दूसरी ओर काम वासना के शोले भड़कते हैं, जिन्हें निंयत्रित करने के लिए सही मार्गदर्शन और देखभाल की ज़रूरत होती है। जिस प्रकार भयानक बाढ़ों को विशाल बांधों द्वारा क़ाबू में करके केवल निर्धारित पानी ही छोड़ा जाता है और विशाल टरबाइन का संचालन करके देश को प
ज़िन्दगी की बहार-16

युवावस्था इंसान के जीवन का बहुत ही संवेदनशील, मीठा और हंगामों से भरा हुआ दौर होता है। यह ऐसा दौर होता है, जिसमें इंसान का व्यक्तित्व एक स्वरूप धारण करता है और उसके भीतर विरोधाभासी विशेषताएं उजागर होती हैं। एक ओर प्रेम और आशा की किरणें फूटती हैं, तो दूसरी ओर काम वासना के शोले भड़कते हैं, जिन्हें निंयत्रित करने के लिए सही मार्गदर्शन और देखभाल की ज़रूरत होती है। जिस प्रकार भयानक बाढ़ों को विशाल बांधों द्वारा क़ाबू में करके केवल निर्धारित पानी ही छोड़ा जाता है और विशाल टरबाइन का संचालन करके देश को प्रकाशमय बनाया जाता है, उसी प्रकार युवाओं की रचनात्मक क्षमता का प्रयोग करके समाज को प्रकाशमय किया जा सकता है।
 
 
 
 
 
आज हम युवाओं के आदर्शों के बारे में बातचीत करेंगे। आदर्श का चयन करने का अर्थ है, अपने व्यवहार और आचरण में किसी का अनुसरण करना। हालांकि इंसान के जीवन के समस्त चरणों में आदर्श की ज़रूरत होती है, लेकिन बचपने और युवावस्था में इसका महत्व अधिक है। इस अंतर के साथ कि बचपने में किसी सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति का अनुसरण अनजाने में होता है, लेकिन युवाकाल में किसी हद तक यह प्रभावित होकर और जानबूझकर होता है।
 
 
 
युवाकाल में कि जो इंसान के व्यक्तित्व का सबसे महत्वपूर्ण काल है, मानवीय विशेषताएं तेज़ी से पनपती हैं। इसलिए कि इस काल में व्यक्ति समाज के प्रवेश द्वार पर खड़ा होता है। वह हमेशा प्रयास करता है कि अपने व्यक्तित्व को कुछ इस तरह ढाले कि दूसरों से पहले ही अपने साथियों और समाज के ध्यान का पात्र बन जाए और उन विशेषताओं को अपना ले जो दूसरों का ध्यान आकर्षित करती हैं। सामान्य रूप से इस लक्ष्य को पाने के लिए युवा प्रभावशाली मार्ग की खोज में रहता है। इस संबंध में महत्वपूर्ण शैली एक ऐसा आदर्श खोजना है कि जिसने सफलता के चरणों को अच्छी तरह तय किया हो और लोगों की नज़र में लोकप्रियता हो।
 
 
 
युवा का मार्गदर्शन करना आदर्श की एक महत्वपूर्ण भूमिका है। युवा अनेक ज़रूरी और भाग्य का निर्धारण करने वाले कामों को पर्याप्त अनुभव के अभाव एवं काफ़ी जानकारी न होने के कारण अंजाम नहीं दे पाते हैं। लेकिन उचित आदर्श होने की स्थिति में युवा उसका आचरण देखकर आसानी से समझ सकता है कि किन परिस्थितियों में और कौन सी शैली अपनाकर कौनसा काम किया जाना चाहिए। वास्तव में इंसान के मार्गदर्शन में आदर्श और मार्गदर्शक की भूमिका का महत्व वही है जो रास्ता बताने में कमपास का होता है। वह इंसान के लिए अज्ञात दिशा का निर्धारण करता है।
 
आदर्श का चयन करके इंसान अपने विचारों में समन्वय उत्पन्न करता है, ताकि उच्च लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अपनी क्षमताओं का सही ढंग से प्रयोग कर सके और उन्हें व्यर्थ न होने दे। युवा अपने आदर्श के मज़बूत साहस और सार्थक प्रयासों से पाठ लेता है और व्यर्थ कार्यो से बचता है। इस प्रकार, वह आम जीवन में व्यस्त होने के बजाए एक मूल्यवान जीवन जीता है और व्यक्तिगत सफलता के अलावा अपने समाज के लिए लाभदायक सिद्ध होता है।
 
 
 
 
 
वास्तव में युवक सामाजिक जीवन में और दूसरों के साथ व्यवहार करने में उस व्यक्ति का अनुसरण करता है, जिससे वह प्रभावित होता है और उसे अपना आइडियल समझता है। यह विशेषता इंसान की प्रवृत्ति में शामिल है जो युवावस्था में अपने चरम पर होती है। इसलिए कि इंसान के अस्तित्व की बनावट ही कुछ इस प्रकार की है कि वह हमेशा बाहरी कारकों से प्रभावित होता है।
 
 
 
प्रभावित होने की यह विशेषता एक प्राकृतिक वास्तविकता है, जो इंसान की मूल प्रवृत्ति की ओर पलटती है और कोई व्यक्ति इससे अपवाद नहीं है। इसलिए कोई ऐसा व्यक्ति नहीं मिलेगा, जो किसी से भी प्रभावित न हो और उस पर किसी चीज़ का प्रभाव न पड़े। इसलिए कि इंसान हर परिस्थिति में बाहरी कारकों से प्रभावित होता है। आदर्श का चयन पारिवारिक जीवन से शुरू होता है, उसके बाद स्कूल और समाज में यह प्रक्रिया जारी रहती है और युवावस्था में यह अपने चरम पर होती है। इसलिए प्राकृतिक रूप से इंसान आदर्श की इच्छा रखता है और यह विशेषता उसके अस्तित्व का भाव है। यही कारण है कि वह हमेशा अपने आदर्श की खोज में रहता है। इसलिए प्राकृतिक रूप से युवा को आदर्श की ज़रूरत होती है। यही कारण है कि वह हमेशा अपने विचारों के हीरो की खोज में रहता है।
 
 
 
 
 
लेकिन इस बीच, महत्वपूर्ण मुद्दा आदर्श का चयन समझदारी के साथ करना है। युवा को अपने जीवन में ऐसे आदर्श का चयन करना चाहिए जिसके अनुसरण से लोक-परलोक में उसका सिर ऊंचा हो, न यह कि वह बर्बाद हो जाए। इस्लाम ने युवाओं की इस ज़रूरत पर ध्यान दिया है और अच्छे आदर्शों को पेश किया है, ताकि युवा ख़ुद को उनकी तरह ढाल सकें। क़ुराने मजीद ने इस प्रकार के आदर्शों को उसवए हसना के नाम से याद किया है, अर्थात जीवन के समस्त क्षेत्रों में अच्छा एवं उचित आदर्श।
 
ईश्वर, पैग़म्बरे इस्लाम (स) को लोगों के लिए उसवए हसना के रूप में परिचित करवा रहा है और सूरए एहज़ाब में फ़रमाता है, जान लो कि पैग़म्बरे इस्लाम का अनुसरण तुम्हारे लिए बेहतरीन कर्म है।
 
 
 
 
 
पैग़म्बरे इस्लाम (स) के व्यवहार एवं आचरण के अनुसरण से युवा ईश्वर के निकट हो जाता है और हर प्रकार के भटकाव से बच जाता है।
 
हज़रत अली (अ) ने नहजुल बलाग़ा में पैग़म्बरे इस्लाम (स) के अनुसरण की चर्चा की है और युवाओं को हज़रत के अनुसरण की सिफ़ारिश की है। अपने प़ैग़म्बर के आचरण का अनुसरण करो, इसलिए कि वे सर्वश्रेष्ठ मार्गदर्शक हैं। अपना आचरण उनके आचरण की भांति कर लो इसलिए कि वे सबसे प्रभावी मार्गदर्शक हैं। एक अन्य स्थान पर फ़रमाते हैं, तुम्हारे लिए काफ़ी है कि पैग़म्बरे इस्लाम (स) के व्यवहार का अनुसरण करो, ताकि वे दुनिया की कमियों और बुराईयों को पहचानने में तुम्हारे अच्छे मार्गदर्शक बनें।
 
 
 
 
 
पैग़म्बरे इस्लाम (स) का व्यक्तित्व इंसान के लिए अमर आदर्श है। वह आज भी स्थान और समय की सीमा से ऊपर उठकर बेहतरीन आदर्श बनकर चमक रहा है। उनका व्यक्तित्व किसी ख़ास समय से विशेष नहीं था और न है, बल्कि यह सदैव के लिए है और हर नस्ल के लिए आदर्श है।
 
पैग़म्बरे इस्लाम (स) का आचरण एवं व्यवहार, जीवन के हर क्षेत्र में सत्य की खोज में रहने वालों के लिए आदर्श है। हज़रत का अस्तित्व ठाठे मारते हुए ऐसे असीम समुद्र की भांति है, जो मानवीय गुणों एवं अच्छाईयों से भरा हुआ है और हर व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुसार उससे जितना चाहे प्राप्त कर सकता है।
 
 
 
 
 
युवाओं के प्रशिक्षण में आदर्श का विशेष महत्व होता है और प्रशिक्षकों ने भी इस पर काफ़ी बल दिया है। इसलिए प्रशिक्षकों को चाहिए कि वे युवाओं के लिए उचित आदर्श पेश करें, ऐसे आदर्श कि जिन की ओर क़ुरान और इस्लामी शिक्षाओं में संकेत किया गया है।
 
पश्चिमी संस्कृति के दिन प्रतिदिन बढ़ते हमलों और धार्मिक एवं पूरब की संस्कृति के मूल्यों के विरुद्ध आदर्श पेश करने के कारण, क़ुरान और इस्लाम के अनुसार, युवाओं के लिए आदर्श पेश करने की ज़रूरत है। ताकि एक आदर्श की उनकी खोज पूरी हो सके और सही एवं उचित आदर्श का चयन करके वे सही मार्ग पर आगे बढ़ सकें।
 
 
 
 
 
इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) युवाओं के लिए आदर्श पेश करने के संदर्भ में फ़रमाते हैं, अपनी युवा पीढ़ी पर ध्यान दो और उन्हें इस्लामी शिक्षाओं का ज्ञान दो, इससे पहले कि तुम्हारे विरोधी तुमसे आगे निकल जाएं।
 
 
 
आज की दुनिया में प्रतिदिन विभिन्न एवं विविध आदर्श संचार माध्यमों द्वारा पेश किए जा रहे हैं। यहां काफ़ी प्रयत्न करने की ज़रूरत है और इस प्रकार के ग़लत आदर्शों के मुक़ाबले में उचित आदर्शों के पेश करने की ज़रूरत है। निःसंदेह, युवा अगर साहसी, सफल, बुद्धिमानी, और नेक आदर्श से परिचित होंगे तो उनका साफ़ मन उसकी ओर झुकेगा। आज अनेक सुधारवादी विचारकों का मानना है कि अपनी और युवाओं की मुक्ति महान व्यक्तियों को आदर्श बनाने में है और इस्लाम को इस संदर्भ में गौरव प्राप्त है। उदाहरण स्वरूप, भारत को ग़ुलामी से मुक्ति दिलाने में महात्मा गाँधी ने इमाम हुसैन (अ) को अपने लिए आदर्श बनाया और अपने आंदोलन को इमाम हुसैन की शैली में आगे बढ़ाया।


source : irib
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