लेखक: आयतुल्लाह हुसैन अनसारियान
किताब का नाम: शरहे दुआ ए कुमैल
अगर प्रार्थी अपनी प्रार्थना को स्वीकार कराना चाहता है तो उसे प्रार्थना करने से पूर्व निम्न लिखित शर्तो का पालन करना आवश्यक है। यह शर्ते ईश्वरीय दूत के पवित्र परिवार वालो (अहलेबैत अ.स.) से कथनो (रिवायतो) मे ज़िक्र किया गया है तथा इनको अलकाफ़ी, मोहज्जतुल बैज़ा, वसाएलुश्शिया, जामे अहादीसुश्शिया .... जैसी मूल्यवान किताबो मे पंजीकृत किया गया है।
वर्णन और स्पष्टीकरण के बिना प्रार्थना की शर्ते इस प्रकार है:
धार्मिक पवित्रता – नमाज़ पढ़ने के लिए विशेष रूप से हाथो और चेहरे को धोना एवं सर और पैर को स्पर्श करना ( वुज़ू), धर्म के बताये हुए तरीक़े से स्नान करना (ग़ुस्ल), विशेष रूप से मिट्टी से वुज़ू अथवा ग़ुस्ल के स्थान पर अपने को पवित्र करना (तयम्मुम) – लोगो के हक़ से बरि होना, ईमानदारी, प्रार्थना का सही पढ़ना, व्यापार का हलाल होना, संबंधियो से सही संबंध (सिलए रहम), प्रार्थना के पूर्व दान, परमेश्वर का आज्ञाकारी होना, पाप से दूरी, काम मे सुधार, भोर मे प्रार्थना, नमाज़ेवित्र[1] मे प्रार्थना, सुबह की नमाज़ के समय प्रार्थना, सूर्योदय के समय प्रार्थना, बुधवार को दोपहर और शाम (ज़ोहर व अस्र) के बीच मे प्रार्थना, प्रार्थना के पूर्व सलवात (मंत्र) पढ़ना[2]।