लेखक: आयतुल्लाह हुसैन अनसारियान
किताब का नाम: शरहे दुआ ए कुमैल
कुमैल का चरित्र भाग 2 मे कुमैल को अली ने अपना विश्वासीय बताया था इस लेख मे प्रस्तुत है इतिहास की पुस्तके लिखने वालो के विचार कुमैल के बारे मे।
स्वर्गीय हाज मीर्ज़ा हाशिम ख़ुरासानी ने मुनतख़बुत्तवारीख़ मे अमीरुल मोमेनीन (अ.स.) के समसामयिको (मुआसेरीन) को तीन समूहोः शिष्यो (हव्वारीयो), मित्रो और विशेष साथियो मे विभाजित किया है।
अमीरुल मोमेनीन (अ.स.) के चार शिष्यः (अमरु पुत्र हुम्क़ ख़ेज़ाइ), (मीसमे तम्मार), (मुहम्मद पुत्र अबू बक्र) तथा (उवैसे क़रनि) का उद्धृत किया और हज़रत के साथी बहुत अधिक है उनमे से एक (कुमैल पुत्र ज़ियाद) का उद्धृत किया है। तत्पश्चात कहते हैः कुमैल महान अनुयायियो मे से थे जिनको (हज्जाज पुत्र युसुफे सक़फ़ी) ने सन् 83 हिजरि क़मरी मे 90 वर्ष की आयु मे क़त्ल करा दिया।
अहले सुन्नत ने -अहलैबेत (अलैहेमुस्सलाम) के अनुयायियो के साथ एक लंबे विवाद के बावजूद- कुमैल को हर प्रकार के मामले मे विश्वासीय व्यक्ति के रूप मे प्रस्तुत किया है।[१]
मोतज़लि समप्रदाय के महान विद्वान (इब्ने अबिल हदीद) कुमैल के बारे मे कहते हैः
کَانَ مِن شِیعَۃِ عَلَی وَ خَاصَتِہِ
काना मिन शिअते अलीयिन वख़ास्सतेही
कुमैल अली के विशेष शियो मे से था।
ज़हाबी कुमैल के बारे मे इस प्रकार कहते हैः
شَرِیفٌ مُطَاعٌ مِن کِبَارِ شِیعَۃِ عَلِیٍ
शरीफ़ुन मुताऊन मिन केबारे शिअते अलीयिन[२]
कुमैल सज्जन व्यक्ति, अपने लोगो के बीच आज्ञाकारी तथा अली के महान शियो मे से था।
जारी