अपने प्रियः अध्ययन कर्ताओं के लिए यहाँ पर हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम के चालीस मार्ग दर्शक कथन प्रस्तुत कर रहे हैं।
1-प्रतिदिन के कार्यो का हिसाब
हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने कहा कि वह प्रत्येक मुसलमान जो हमे पहचानता है(अर्थात हमे मानता है) उसे चाहिए कि प्रति रात्री अपने पूरे दिन के कार्यों का हिसाब करे, अगर पुण्य किये हों तो उनमे वृद्धि करे। और अगर पाप किये हों तो उनके लिए अल्लाह से क्षमा याचना करे। ताकि परलय के दिन अल्लाह से लज्जित न होना पड़े।
2-ईर्ष्या व धोखा
हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो व्यक्ति अपने भाई को धोखा दे और उसको निम्ण समझे, तो ऐसे व्यक्ति को अल्लाह नरक मे डालेगा। और अपने मोमिन भाई से ईर्ष्या रखने वाले व्यक्ति के दिल से इमान इस प्रकार समाप्त हो जायेगा जैसे नमक पानी मे घुलकर समाप्त हो जाता है।
3-पारसाई व अत्याचार
हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने कहा कि अल्लाह की सौगन्ध हमारी विलायत केवल उसको प्राप्त होगी जो पारसा होगा, संसार के लिए प्रयासरत होगा तथा अपने भाईयों की अल्लाह के कारण सहायता करेगा।और अत्याचार करने वाला हमारा शिया नही है।
4- अल्लाह पर विश्वास
हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो व्यक्ति अल्लाह पर विश्वास करेगा अल्लाह उसके संसारिक व परलोकीय कार्य को हल करेगा। और प्रत्येक वस्तु जो कि उस से गुप्त है उसके लिए सुरक्षित करेगा ।
5-निर्बलता
हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने कहा कि कितना निर्बल है वह व्यक्ति जो विपत्ति के समय सब्र न कर सके और अल्लाह से नेअमत मिलने पर उसका धन्यवाद न कर सके और कठिनाईयों का निवारण न कर सके।
6-सदाचारिक आदेश
हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने कहा कि अगर किसी ने तुम से नाता तोड़ लिया है तो उससे नाता जोड़ो। जिसने तुमको कुछ देने से जान बचाई तुम उसको देने से पीछे न हटो। जिसने तुम्हारे साथ बुराई की है तुम उसके साथ भलाई करो। अगर किसी ने तुमको अपशब्द कहे हैं तो तुम उसको सलाम करो। अगर किसी ने तुम्हारे साथ शत्रुता पूर्ण व्यवहार किया है तो तुम उसके साथ न्याय पूर्वक व्यवहार करो। अगर किसी ने तुम्हारे ऊपर अत्याचार किया है तो उसको क्षमा कर दो जैसा कि तुम चाहते हो कि तुम्हे क्षमा कर दिया जाये। हमे यह अल्लाह के क्षमादान से यह सीखना चाहिए क्या तुम नही देखते हो कि वह सूर्य अच्छे व बुरे दोनो प्रकार के व्यक्तियों के लिए चमकाता है। व अच्छे व बुरे सभी लोगों के लिए वर्षा करता है।
7-धीमे बोलना
हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने कहा कि धीरे बोला करो क्योंकि अल्लाह ज़ाहिर व बातिन ( प्रत्यक्ष व परोक्ष) सब कार्यों से परिचित है। अपितु वह तो प्रश्न करने से पहले जानता है कि आप क्या चाहते हो।
8-अच्छाई व बुराई
इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने कहा कि समस्त अच्छाईयां व बुराईयां आपके सम्मुख हैं। परन्तु आप इन दोनों को परलय से पहले नही देख सकते। क्योंकि अल्लाह ने समस्त अच्छाईयों को स्वर्ग मे तथा समस्त बुराईयों को नरक मे रखा है। क्योंकि स्वर्ग व नरक की सदैव रहने वाले हैं।
9-इस्लाम
हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने कहा कि अपने परिवार की जीविका का प्रबन्ध करने के लिए कार्य करना अल्लाह के मार्ग मे जिहाद करने के समान है।
10-परलोक के लिए कार्य
हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने कहा कि वर्तमान मे इस संसार मे कार्य करो क्योकि उन के द्वारा परलोक मे सफल होने की आशा है।
11-अहले बैत के मित्रों की सहायता का फल
हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने कहा कि क़ियामत के दिन वह सब व्यक्ति जन्नतमे जायेंगे जिन्होने हमारे मित्रों की शाब्दिक सहायता भी की होगी।
12-दिखावा बहस व शत्रुता
इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने कहा कि दिखावे से बचो क्योकि यह समस्त उत्तम कार्यो को नष्ट कर देता है। बहस(वाद विवाद) करने से बचो क्योकि यह व्यक्ति को हलाकत मे डालती है। शत्रुता से बचो क्योंकि यह अल्लाह से दूर करती है।
13-आत्मा की पवित्रता
हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने कहा कि जब अल्लाह अपने किसी बन्दे पर विशेष कृपा करता है तो उसकी आत्मा को पवित्र कर देता है। और इस प्रकार वह जो भी सुनता है उसकी समस्त अच्छाईयों व बुराईयों से परिचित हो जाता है। फिर अल्लाह उसके हृदय मे ऐसी बात डालता है जिससे उसके समस्त कार्य सरल हो जाते हैं।
14-अल्लाह से सुरक्षा की याचना
हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने कहा कि आपके लिए अवश्यक है कि अल्लाह से भलाई के लिए याचना करो। तथा अपनी विन्रमता, गौरव व लज्जा को बनाए रखो।
15-दुआ
हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने कहा कि अल्लाह से अधिक दुआ करो क्योंकि अल्लाह अधिक दुआ करने वाले बन्दे को पसंद करता है। और अल्लाह ने मोमिन व्यक्तियों से वादा किया है कि उनकी दुआओं को स्वीकार करेगा। अल्लाह क़ियामत के दिन मोमिनो की दुआ को पुण्य के रूप मे स्वीकार करेगा और स्वर्ग मे उनके पुणयों को अधिक करेगा।
16-निस्सहाय मुसलमान
हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने कहा कि आपको चाहिए कि निस्सहाय मुसलमानो से प्रेम करो और अपने आपको बड़ा व उनको निम्ण समझने वाला व्यक्ति वास्तव मे धर्म से हट गया है। और ऐसे व्यक्तियों को अल्लाह निम्ण व लज्जित करेगा। हमारे जद( पितामह) हज़रत पैगम्बर ने कहा है कि अल्लाह ने मुझे निस्सहाय मुसलमानो से प्रेम करने का आदेश दिया है।
17-ईर्ष्या
हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने कहा कि किसी से ईर्श्या न करो क्योंकि ईर्श्या कुफ़्र की जड़ है।
18-प्रेम बढ़ाने वाली चीज़ें
हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने कहा कि ऋण देने, विन्रमता पूर्वक व्यवहार करने और उपहार देने से प्रेम बढ़ता है।
19-शत्रुता बढ़ाने वाली चीज़ें
हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने कहा कि अत्याचार, निफ़ाक़ (द्वि वादीता) व केवल अपने आप को ही चाहने से शत्रुता बढ़ती है।
20-वीरता धैर्य व भाईचारा
हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने कहा कि वीरता को युद्ध के समय, धैर्य को क्रोध के समय व भईचारे को अवश्यकता के समय ही परखा जा सकता है।
21-निफ़ाक़ के लक्षण
हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो झूट बोलता हो, वादा करने के बाद उसको पूरा न करता हो तथा अमानत मे खयानत करता हो( अर्थात अमानत रखने के बाद उसको वापस न करता हो) तो वह मुनाफ़िक़ है। चाहे वह नमाज़ भी पढ़ता हो व रोज़ा भी रखता हो।
22-मूर्ख झूटा व शासक
हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने कहा कि मूर्ख से परामर्श न करो, झूटे से मित्रता न करो, व शासको के प्रेम पर विश्वास न करो।
23-नेतृत्व के लक्षण
हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने कहा कि क्रोधित न होना, दुरव्यवहार को अनदेखा करना, जान व माल से सहायता करना,तथा सम्बन्धो को बनाये रखना नेतृत्व के लक्षण हैं।
24-कथन की शोभा
हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने कहा कि अपने आश्य को दूसरों तक पहुचाना, व्यर्थ की बोलचाल से दूर रहना व कम शब्दो मे अधिक बात कहना कथन की शोभा है।
25-मुक्ति
हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने कहा कि व्यर्थ न बोलना, अपने घर मे रहना व अपनी ग़लती(त्रुटी) पर लज्जित होना मुक्ति पाने के लक्षण हैं।
26-प्रसन्नता
हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने कहा कि सफल पत्नि नेक संतान व निस्वार्थ मित्र के द्वारा प्रसन्नता प्राप्त होती है।
27-महानता
हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने कहा कि सद् व्यवहारिता, क्रोध का कम होना व आखोँ को नीचा रखना महानता के लक्षण हैं।
28-अंधकार मय जीवन
हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने कहा कि अत्याचारी शासक,चरित्रहीन पड़ोसी और निर्लज व अपशब्द बोलने वाली स्त्री जीवन को अंधकार मय बना देते हैं।
29.नमाज़
हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने कहा कि नमाज़ को महत्व न देने वाला हमारी शिफ़अत प्राप्त नही कर सकता।
30-ज़बान हाथ व कार्य
हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने कहा कि अगर मनुष्य बुरी ज़बान बुरे हाथ व बुरे कार्यों से अपने को दूर रखे तो वह सब चीज़ो से सुरक्षित रहेगा।
31-नेकियां
हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने कहा कि नेकी करने मे शीघ्रता करनी चाहिए अधिक नेकियों को भी कम समझना चाहिए व कभी भी नेकियों पर घमँड नही करना चाहिए।
32-इमान
हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति मे निम्ण लिखित तीन विशेषताऐं नही पाई जाती तो उसका इमान उसको कोई लाभ नही पहुँचायेगा। (1) धैर्य कि मूर्ख की मूर्खता को दूर करे। (2) पारसाई कि उसको हराम (निशेध) कार्यों से दूर रखे। (3)सद् व्यवहार जिससे लोगों का सत्कार करे।
33-ज्ञान-
हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने कहा कि ज्ञान प्राप्त करो व गंभीरता व सहनशीलता के साथ उसके द्वारा अपने आप को सुसज्जित करो। अपने गुऱूओं व शिष्यों का आदर करो व घमंडी ज्ञानी न बनो क्योंकि तुम्हारा दुर व्यवहार तुम्हारी वास्तविक्ता को समाप्त कर देगा।
34-विश्वास
हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने कहा कि जब ऐसा समय आजाये कि चारों ओर अत्याचार व्याप्त हो व मनुष्य धोखे धड़ी व दंगो मे लिप्त हों तो ऐसे समय मे किसी पर विश्वास करना कठिन है।
35-संसारिक मोह माया
हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने कहा कि संसारिक मोहमाया के कारण मनुष्य को दुख प्राप्त होता है। तथा संसारिक मोह माया से दूरी मनुष्य को हार्दिक व शारीरिक सुख प्रदान करती हैं।
36-अम्र बिल मारूफ़ व नही अनिल मुनकर
हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने कहा कि अम्र बिल मारूफ़ व नही अनिल मुनकर (अच्छे कार्य करने के लिए उपदेश देना व बुरे कार्ययों से रोकना) करने वाले व्यक्ति मे इन तीन गुणो का होना अवश्यक है (1) जिन कार्यों के बारे मे उपदेश दे रहा हो या जिन कार्यों से रोक रहा हो उन के बारे मे ज्ञान रखता हो। (2) जिन कोर्यों के लिए उपदेश दे रहा हो या जिन कार्यो से रोक रहा हो वह स्वंय उन पर क्रियान्वित हो। (3) अच्छे कार्यों के करने के लिए उपदेश देते समय व बुरे कार्यों से रोकते समय विन्रमता को अपनाये।
37-अत्याचारी शासक
हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो अत्याचारी शासक से समपर्क बनायेगा वह ऐसी विपत्ति मे घिरेगा जिस पर सब्र (धैर्य ) करना कठिन होगा।
38-प्रियतम
हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने कहा कि मेरा प्रियतम भाई वह है जो मुझे मेरी बुराईयों से अवगत कराये।
39-भटका हुआ
हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो अपने से बड़े ज्ञानीयों की उपस्थिति मे लोगों को अपनी अज्ञा पालन का आदेश दे वह बिदअत पैदा करने वाला व भटका हुआ है।
40-सिलहे रहम (रक्त सम्बन्धियों से सम्बन्ध रखना )
हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने कहा कि अपने भाईयों के साथ सिलहे रहम करो चाहे यह सलाम करने व सलाम का जवाब देने के द्वारा ही हो। क्योंकि सिलहे रहम व अच्छे कार्य मनुष्य को गुनाहो से बचाते हैं। व परलय के हिसाब को आसान करते हैं।
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