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चिकित्सक 6

चिकित्सक 6

 पुस्तक का नामः पश्चताप दया का आलंगन

लेखकः आयतुल्लाह अनसारियान

 

हमने इस से पूर्व भाग 5 मे कहा था कि यदि अपराधी इस बात का इच्छुक हो कि वह उज्जवल क्षमा तथा ईश्वर की दया का हक़दार हो जाए, और ईश्वर उसकी पश्चाताप को स्वीकार कर ले, उसके काले एवं अत्याचारी दस्तावेज़ात (बुरे काम) श्वेत एवं प्रकाशीय दस्तावेज़ात (अच्छे कर्मो) मे परिवर्तित हो जाएं, पुनरुत्थान के दर्दनाक पीड़ा से बचे, यह मलाकूती मामले जो कि ईश्वर के उपचारात्मक नुस्ख़े अर्थात पवित्र क़ुरआन मे आये है उनका पालन करना चाहिए।

1- पैगंबर (स.अ.व.अ.व.) के तरीक़ो तथा उलके शिष्टाचार का पालन करना।

2- ईश्वर भक्ति का पालन तथा पापो से स्वयं को सुरक्षित रखना।

3- बात करते समय सत्य बोलना।

4- ईश्वर की आज्ञाकारिता।

5- पैगंबर (स.अ.व.अ.व.) की आज्ञाकारिता।

6- ईश्वर मे आस्था रखना।

7- पैगंबर (स.अ.व.अ.व.) मे आस्था रखना।

8- जान और धन के साथ ईश्वर के मार्ग मे जेहाद[1] का प्रयास करना।

9- सत्य के मार्ग मे जान से प्रयास करना।

10- ज़रूरतमंदो के ऋण का भुगतान करना।

11- पापो को त्याग कर ईश्वर की ओर लौटना।

12- ग़लत आस्थाओ से हाथ उठा लेना अर्थात ग़लत अक़ीदो को छोड़ना।

13- नमाज़ का पढ़ना।

14- ज़कात अदा करना।

15- महबूब (ईश्वर) के सामने अपने पापो एवं अपराधो का क़बूल करना।

 

जारी



[1] जेहाद शिया समप्रदाय मे उस युद्ध को कहते है जो इस्लाम अथवा देश के प्रति किया जाता है, परन्तु प्रत्येक युद्ध जेहाद नही है बलकि उसमे ईश्वर की ओर से नियुक्त दूत अथवा इमाम का युद्ध के लिए आदेश हो अथवा युद्ध से सहमत हो, परन्तु इस कलयुग मे इमाम के गुप्त होने की स्थिति मे इमाम के उतराधिकारि ( शिया समप्रदाय के वरिष्ट धर्म गुरू अर्थात मराज ए इकराम ) का आदेश होना अनिवार्य है।

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