पुस्तक का नामः पश्चताप दया का आलंगन
लेखकः आयतुल्लाह अनसारियान
हांलकि लोगो का कहना हैः कि विद्वानो चार शबादो पर सहमत हुए है, मैने उनका चार पुस्तको से चयन किया है।
तौरातः[1] जिस व्यक्ति ने संतोष किया उसका पेट भर गया, ज़बूरः[2] जिस व्यक्ति ने शांति रखी वह स्वास्थ हो गया, इंजीलः[3] जिस व्यक्ति ने लोगो का हक़ खाने से अपने को सुरक्षित रखा वह निजात पा गया, क़ुरआनः जिस व्यक्ति ने ईश्वर की शरण ली वह सीधे पथ की ओर मार्गदर्शित हो गया।[4]
सुलैमान अली ने हमीद से विस्तृत रुप से उपदेश देने के लिए कहाः हमीद ने उत्तर दियाः यदि किसी ख़ाली स्थान पर कोई पाप करो तो यह तुम्हारे ज्ञान मे रहे कि ईश्वर तुम्हे देख रहा है, बहुत बड़े कार्य की जुरअत की है, और यदि तुम्हारा विचार यह है कि ईश्वर तुम्हे नही देख रहा है तो तुम नास्तिक (मुर्तिपूजक, काफ़िर) हो गये हो।[5]
एक स्थान पर जिबराइल ने ईश्वरी दूत हजरत मुहम्मद से क़ीमती वाक्य कहा कि! यदि पृथ्वी पर मै पूजा करता तो मै तीन कार्य करताः मुसलमानो को पानी पिलाता, महीला व बच्चे धारको की सहायता करता तथा लोगो के पापो को छिपाता।[6]
एक महान व्यक्ति ने कहाः परमेश्वर! मेरे हृदय मे सबसे बड़ी तेरी आज्ञा तुझ से आशा करना है, मेरी ज़बान पर सर्वाधिक मधुर तेरी प्रशंसा है, तथा मेरी दृष्टि से सर्वाधिक अच्छा समय तुझ से भेट करना है।[7]
जारी
[1] तौरात वह पुस्तक है जो ईश्वरी दूत मूसा पर उतरी तथा दहूदीयो की धार्मिक पुस्तक है। (अनुवादक)
[2] ज़बूर ईश्वरी दूत दाऊद पर उतरी। (अनुवादक)
[3] इनजील ईश्वरी दूत दाऊद पर उतरी तथा यह इसाईयो की धार्मिक पुस्तक है जिसे अंग्रेजी भाषा मे बाइबिल कहा जाता है। (अनुवादक)
[4] मवाएज़ुल अदादिया, पेज 240
[5] मजमूअए वर्राम (वर्राम संग्रह), भाग 1, पेज 236, जिकरुल अशरार वलफुज्जार (दुष्ट एंव धर्मभ्रष्ट लोगो) का अध्याय
[6] मजमूअए वर्राम (वर्राम संग्रह), भाग 1, पेज 39, जिकरुल अशरार वलफुज्जार (दुष्ट एंव धर्मभ्रष्ट लोगो) का अध्याय
[7] मवाएज़ुल अदादिया, पेज 190