पुस्तक का नामः पश्चताप दया का आलंगन
लेखकः आयतुल्लाह अनसारियान
इस लेख से पहले यह बताया गया है कि शैतान क्यो दुखि हुआ तथा आदम क्यो सुखद हुए दोनो की तुलना एवं याहया पुत्र मआज का कथन भी पूर्व के लेख मे बयान किया गया है तथा इस लेख मे औलिया हज़रात की तीन विशेषताओ को बताया गया है।
औलियाओ की विशेषताओ के संदर्भ मे कहा गया हैः कि इनकी तीन विशेषताए हैः प्रथमः मौन एवं ज़बान को सुरक्षीत रखते है जिस से यह बचते है। दूसरेः ख़ाली पेट रहते है जो दान के लिए महत्वपूर्ण है। तीसरेः पूजा करने मे अपनी आत्मा को कठिनाईयो मे डालते है तथा दिनो को रोज़ा रखने और रात्रियो को पूजा करने मे व्यतीत करते है।[1]
यदि प्रत्येक अपराधी, दोषी एवं पापी व्यक्ति ईश्वर दूतो, निर्दोष नेताओ (इमामो), विद्वानो तथा ईश्वर के बताये हुए संस्करणो (नुसख़ो) का उपयोग करे, तो निसंदेह उसके पाप माफ़ तथा बीमार आत्मा का उपचार हो जाएगा।
पापी को इस ओर ध्यान केंद्रित करना चाहिए कि नबियो (ईश्वर दूतो) का आना, निर्दोष नेताओ का नेतृत्व करना, तथा विद्वानो का ज्ञान एवं उनकी हिकमत इस लिए थी के मानव की बौद्धिक, नैतिक, व्यवहारिक तथा आध्यात्मिक रोगो का उपचार करे, इस आधार पर पापी का निराश होकर बैठजाना तथा अपने हृदय को निराशा से परिपूर्ण करके पाप को करते रहने तथा अपने जीवन के दुखो एवं क्रूरता को अधिक करते रहने का कोई अर्थ नही है। बल्कि उसका कर्तव्य एवं दायित्व है कि ईश्वर और उसके दूतो एवं निर्दोष नेताओ के आदेशानुसार विशेष रूप से ईश्वर की दया, कृपा, क्षमा, अनुग्रह एवं उसकी लोकप्रियता को देखते हुए पश्चाताप हेतु क़दम उठाऐ।