Hindi
Friday 3rd of May 2024
0
نفر 0

आत्मा के शान्ति की कुन्जी 1

आत्मा के शान्ति की कुन्जी 1

पुस्तक का नामः पश्चताप दया का आलंगन

लेखकः आयतुल्लाह अनसारियान

 

يَا أيُّهَا النَّاسُ قَدْ جَاءَتْكُم مَوْعِظَةٌ مِن رَبِّكُمْ وَشِفَاءٌ لِمَا فِي الصُّدُورِ وَهُدىً وَرَحْمَةٌ لِلْمُؤْمِنِينَ

या अय्योहन्नासो क़द जाआकुम मोएज़तुम मिर्रब्बेकुम व शेफ़ाउन लेमा फ़िस्सोदूरे व होदव्वरहमतुन लिलमोमेनीना युनुस (10) 57

पाप और उसका उपचार

आत्मा के शान्ति की कुन्जी

जब मानव इस सत्य से अवगत हुआ कि उसने अपना जीवन ईश्वर की जिसने अनन्त प्रकार के प्रकट एवं गुप्त पूर्ण एवं विस्तृत अशीष उसे प्रदान कि है से अज्ञानता के कारण र्व्यथ कर दिया तथा जब उसे जीवन मे अशीष के महत्व का आभास हुआ कि ईश्वर की प्रदान की हुई प्रत्येक अशींष भूलोक एवं परलोक मे भलाई एवं उद्धार का मार्ग और ईश्वर की दया एवं कृपा के द्धार को खोलने की कुन्जी है जिसके महत्व की पहचान अपने सम्पूर्ण जीवन मे नही कर सका तथा ईश्वर के उत्तम अशीष को गलत एवं भ्रष्ट रूप से प्रयोग किया परिणाम स्वरूप विभिन्न प्रकार के छोटे बडे पापो एवं कुर्कमो मे लीन हो गया जिसके कारण महान घाटा एंव हानि उठाना पड़ा यघापि उसने ईश्वर की श्रृद्धा पर दाग लगाया एवं ईर्श्या, हवस, अनतरखासना, भीतर एवं बाहर के शैतान का पुजारी बना रहा तो अपने कुकर्मो एवं पापो के पश्चाताप तथा अपने अन्धकारी जीवन अज्ञानता, पाप, कुकर्म, शैतानी प्रकोप से निकलने और अव्यवहारिक कर्मो से छुटकारा पाने एवं उसको प्रायचित के लिए आवश्यक एवं अनिवार्य है कि ईश्वर की पवित्रता एवं महानता के समक्ष स्वयं को तुच्छ प्रकच करते हुए पश्चाताप करे तथा ईश्वरीय मार्ग की ओर अग्रसर हो और अपने हृदय की शांती का सूर्य अपने जीवन के छितिज पर उदय करे।

जारी

0
0% (نفر 0)
 
نظر شما در مورد این مطلب ؟
 
امتیاز شما به این مطلب ؟
اشتراک گذاری در شبکه های اجتماعی:

latest article

इस्लाम में औरत का मुकाम: एक झलक
हज़रत हमज़ा इब्ने इमाम काज़िम ...
पैग़मबरे अकरम (स) और आईम्मा (अ) के ...
तरकीबे नमाज़
इस्लाम और सेक्योलरिज़्म
हज़रत फ़ातेमा ज़हरा उम्महातुल ...
अज़ादारी रस्म (परम्परा) या इबादत
शोहदाए बद्र व ओहद और शोहदाए ...
इमाम अली रज़ा अ. का संक्षिप्त जीवन ...
दरबारे इब्ने जियाद मे खुत्बा बीबी ...

 
user comment