पुस्तक का नामः पश्चताप दया का आलंगन
लेखकः आयतुल्लाह अनसारियान
इस से पर्व के लेख मे यह बात स्पषट की थी के किसी भी पापी अपराधी अथवा दोषी व्यक्ति को पश्चाताप करने का समय निर्धारित करने का हक़ नही है इस लेख मे इस बात का स्पष्टीकरण किया गया है जिन लोगो ने पश्चाताप को भविष्य मे करने हेतु स्थगित किया था क्या वह लोग भविष्य मे पश्चाताप करने मे सफल हुए?
कितने पापीयो ने स्वयं को पश्चाताप और हक़ की ओर लौटने की ख़ुशख़बरी दी परन्तु पाप एवं सिक को दोहराने के कारण उनकी आत्मा को वासना और शैतान ने बंदी बना लिया, तथा पापी आत्मा ने उनके भीतर दृढ रूप से स्थान ग्रहण कर लिया, जिसके कारण पश्चाताप करने की शक्ति उनके हाथो से समाप्त हो गई, ना फ़क़्त यह कि कदापि वह लोग पश्चाताप करने तथा अपने प्रमी की ओर लौटने मे सफ़ल नही हुए बलकि अपराध और पाप की जारी बहुलता, ग़लती, गंभीर (भारी) अंधकार, हक़ से दूरी, आज्ञाकारिता से बिदाई एवं पृथक्करण, हक़ की निशानी और लक्षणो को झुटलाना, प्रतिशोध एवं दंड का इनकार किया, दिव्य छंदो (आयात) का मज़ाक़ उडाया, अपने ही हाथो से पश्चापात के दरवाज़े को अपने लिए बंद किया!
ثُمَّ كَانَ عَاقِبَةَ الَّذِينَ أَسَاءُوا السُّوءى أَن كَذَّبُوا بِآيَاتِ اللَّهِ وَكَانُوا بِهَا يَسْتَهْزِؤُونَ
सुम्मा काना आक़ेबतल्लज़ीना असाउस्सुआ अन कज़्ज़बू बेआयातिल्लाहे वकानू बेहा यसतहज़ेऊन[1]
जिन व्यक्तियो ने बुरे काम किये है उनके परिणाम उन व्यक्तियो के समान है जिन्होने ईश्वर की निशानियो को झुटलाया तथा उनका मज़ाक़ बनाया।
जारी