पुस्तक का नामः पश्चताप दया का आलंगन
लेखकः आयतुल्लाह अनसारियान
इस से पूर्व लेख मे हमने क़ुरआन के छंदानुसार बुरे कर्मो वाले व्यक्ति का परिणाम स्पष्ट किया था इस लेख मे क़ुरआन के छंदो से इस बात को बताया गया है कि पश्चाताप मे देरी करना मान्य नही है।
पाप, कुष्ठ रोग की तरह पापी की आस्था एवं विश्वास, नैतिकता एवं व्यक्तित्व (चरित्र), गरिमा और मानवता को नष्ट कर देता है, तथा व्यक्ति को उस स्थान पर पहुँचा देता है जहा वह ईश्वर की निशानीयो को नकारने मे संक्रमित हो जाता है, और ईश्वर दूतो, निर्दोष नेताओ (इमामो) एवं पवित्र पुस्तक क़ुरआन का मज़ाक बनाता है, उपदेश तथा सलाह अप्रभावी हो जाते है।
इस आधार पर पवित्र क़ुरआन का छंद
وَسَارِعُوا إِلَى مَغْفِرَة مِن رَبِّكُمْ وَجَنَّة عَرْضُهَا السَّماوَاتُ وَالاْرْضُ أُعِدَّتْ لِلْمُتَّقِينَ
वसारेऊ एला मग़फ़ेरतिम्मिर्रब्बेकुम वजन्नतिन अरज़ोहस्समावातो वलअर्ज़ो ओइद्दत लिलमुत्तक़ीन[1]
अपने प्रभु की क्षमा एवं स्वर्ग की ओर अग्रसर हो जिस स्वर्ग की चौड़ाई पृथ्वी और आकाश के बराबर है और उसे पवित्र लोगो (अहले तक़वा) के लिए स्थापित किया गया है।
स्वर्ग और क्षमा की प्राप्ति हेतु बाहरी एवं भीतरी पापो से तत्काल पवित्र होना अनिवार्य है, पछतावे एवं पश्चाताप शीघ्र करो, पश्चाताप करने मे एक पल की भी देरी मान्य नही है, क्योकि पवित्र क़ुरआन के छंदानुसार पश्चाताप मे किसी भी कारण देरी करना अन्याय एवं अत्याचार है, इस अन्याय एवं अत्याचार के पाप होने मे कोई संदेह नही है।
जारी