पुस्तक का नामः पश्चाताप दया का आलंग्न
लेखकः आयतुल्ला अनसारीयान
إِنَّ الَّذِينَ يَكْتُمُونَ مَا أَنْزَلَ اللّهُ مِنَ الْكِتَابِ وَيَشْتَرُونَ بِهِ ثَمَناً قَلِيلاً أُولئِكَ مَا يَأْكُلُونَ فِي بُطُونِهِمْ إِلاَّ النَّارَ وَلاَ يُكَلِّمُهُمُ اللّهُ يَوْمَ الْقِيَامَةِ وَلاَ يُزَكِّيهِمْ وَلَهُمْ عَذَابٌ أَلِيمٌ * أُولئِكَ الَّذِينَ اشْتَرَوُا الضَّلاَلَةَ بِالهُدَى وَالْعَذَابَ بِالمَغْفِرَةِ فَمَا أَصْبَرَهُمْ عَلَى النَّارِ
इन्नल्लज़ीना मा यकतोमूना मा अनज़लल्लाहो मेनल किताबे वयशतरूनाबेहि समानन क़लीलन उलाएका मा याकोलूना फ़ी बोतूनेहिम इल्लन्नारा वला योकल्लेमोहोमुल्लाहो योमल क़ेयामते वला योज़क्कीहिम वलाहुम अज़ाबुन अलीमुन * उलाएकल्लज़ीनश्तरावुज़्ज़लालता बिलहुदा वलअज़ाबा बिलमग़फ़ेरते फ़मा असबराहुम अलन्नारे[1]
बेशक ईश्वर ने जो कुच्छ किताब (कुरआन) से उतारा है ये लोग उसे छिपाते है तथा उसको बहुत कम मूल्य मे बेचते है, आग के अलावा कुच्छ नही खाते है, न्याय के दिन ईश्वर ऐसे व्यक्तियो से बात नही करेगा, तथा पाप और प्रदूषण की अशुद्धता से उनको शुद्ध नही करेगा ऐसे व्यक्तियो के लिए दर्दनाक सज़ा (अजाब) है।
ये वो लोग है जिन्होने गुमराही को मार्गदर्शन (हिदायत) से, सज़ा (अज़ाब) को क्षमा से परिवर्तित किया है, ईश्वर की सज़ा सहने की कितनी शक्ति रखते है?
مَثَلُ الَّذِينَ كَفَرُوا بِرَبِّهِمْ أَعْمَالُهُمْ كَرَمَاد اشْتَدَّتْ بِهِ الِّريحُ فِي يَوْم عَاصِف لاَّ يَقْدِرُونَ مِمَّا كَسَبُوا عَلَى شَيْء ذلِكَ هُوَ الضَّلالُ الْبَعِيدُ
मसलुल्लज़ीना कफ़रू बेरब्बेहिम आमालाहुम करमादिश्तद्दत बेहिर्रिहो फ़ी योमिन आसेफ़िल ला यक़दरूना मिम्मा कसाबू अला शैइन ज़ालेका होवज़्ज़लालुल बईदो[2]
जिन व्यक्तियो ने अपने ईश्वर का इनकार किया उनके कर्मो का उदाहरण उस राख के समान है जिसे अंधेड़ के दिन का तुफ़ान उड़ा कर ले जाए तथा वो लोग अपने प्राप्त किए हुए पर भी अधिकार नही रखेंगे, और यही दूर तक फैली हुई गुमराही है।
जारी