मानव जीवन के चरण 9
पुस्तक का नामः दुआए कुमैल का वर्णन
लेखकः आयतुल्लाह अनसारीयान
नवा चरणः जन्म
وَاللّهُ أَخْرَجَكُم مِنْ بُطونِ أُمَّهاتِكُمْ
वल्लाहो अख़रजाकुम मिन बोतूने उम्माहातेकुम[1]
ईश्वर ही ने तुम्हे तुमहारी माताऔ के पेट से बाहर निकाला है।
शिशु के जन्म का चरण भी एक आश्चर्यजनक हक़ीक़त है जो इस रचना की प्रणाली मे ज़ाहिर होती है। वह शिशु जो मा के पेट के अंधकार मे 9 महीने जीवन व्यतीत करता है, तत्पश्चात ईश्वर की व्यापक दया की छाया मे इस संसार मे क़दम रखता है जो उसकी पहले जीवन से बिलकुल भिन्न है, किन्तु परमात्मा ने अपनी दया से इस शिशु को वह क्षमता प्रदान की है जिसके कारण संसार के हवा और पानी से स्वंय को संतुलित कर सके।
मा के पेट मे शिशु 37 डिग्री गर्मी मे रहता है किन्तु जब उसका जन्म लेकर संसार मे आता है तो उस से अधिक गर्मी होती है और किसी स्थान पर सर्दी, उसके पश्चात भी इस नई हवा पानी से वह स्वंय को संतुलित कर लेता है लेकिन यह कैसे होता है यह मेडिकल साइंस का एक रहस्य है, यह शिशु जो अंधेरे से प्रकाश मे क़दम रखता है तथा दुनिया की चमक दमक अपनी छोटी छोटी आँखो से सहन करता है नम एंव चिपके हुए स्थान से सूखे मकान मे क़दम रखता है, लेकिन फ़िर भी इस दुनिया के हवा पानी से स्वंय संतुलित कर लेता है जन्म के पूर्व नाभी के माध्यम से अपना आहार प्राप्त करता था परन्तु अब मुंह के माध्यम अपना आहार प्राप्त करना प्रारम्भ कर देता है, और सीधे सीधे हवा से श्वसन क्रिया शुरू करता है।[2]
यह परमात्मा की व्यापक दया के झरोके है जो सभी चीज़ो पर छाया फ़िगन है, और मानव अपने अस्तित्व के साथ इस स्थान पर ईश्वर की अनगिनत नेमतो पर शुक्र हेतु क़दम बढा देता है तथा अपने ह़दय एंव ज़बान से रोते गिड़गिड़ाते हुए अपने लिए भौतिक एंव आध्यात्मिक नेमतो मे वृद्धि हेतु प्रार्थना करता हुआ नज़र आता है।
اَللَّهُمَّ إِنِّى أَسْأَلُكَ بِرَحْمَتِكَ الَّتِى وَسِعَتْ كُلَّ شَىْء
[1] सुरए नह्ल 16, छंद 78
[2] गुज़िश्ता व आइनदा ए जहान, पेज 51-70, थोड़े से दखल और तसर्रुफ़ एंव संक्षिप्त रूप से