पुस्तक का नामः पश्चाताप दया का आलंग्न
लेखकः आयतुल्ला अनसारीयान
इस से पर्व के लेख मे पापो को तीन प्रकार मे विभाजित किया था और कहा था कि प्रत्येक पाप की विशेष रूप से पश्चाताप होती है तथा हर एक के लिए विस्तृत रूप से स्पष्टीकरण किया था इस लेख मे प्रत्येक प्रकार के पापो की पश्चाताप को बता रहे है
पहले प्रकार के पापो की पश्चाताप यह है कि मनुष्य सभी छूटे हुए कार्यो एंव कर्तव्यो की क्षतिपूर्ति करे छूटी हुई नमाज़ पढ़े, छूटे हुए रोज़े रखे, छुटा हुआ हज करे, यदि ख़ुम्स और ज़कात का भुगतान नही किया है तो उनका भुगतान करे।
दूसरे क़िस्म के पापो की पश्चाताप यह है कि मनुष्य शर्मिंदगी के साथ क्षमा मांगे तथा पापो के त्यागने पर मज़बूत इरादा कर ले, इस प्रकार कि मानव के अंदर पैदा होने वाली क्रांति अंगो को पाप करने से रोके रखे।
तीसरे प्रकार के पापो की पश्चाताप यह है कि मनुष्य लोगो के पास जाए और उनके देनदारी का भुगतान करे, उदाहरण हत्यारा स्वयं को मृतक के वारिसो के हवाले कर दे ताकि वह मृतक का बदला अथवा हरजाना (दिया) ले सके अथवा उसको क्षमा कर दे, ब्याज़ लेने वाला व्यक्ति को चाहिए कि लोगो से लिया हुआ ब्याज़ उनके हवाले कर दे, ग़स्ब करने वाले व्यक्ति को चाहिए कि माल उनके मालिको तक पहुँचा दे, अनाथ और घूस मे लिया हुआ माल उनके मालिको को भुगतान करे दे, किसी को घायल किया है तो उसका हरजाना दे, माली नुक़सान का भुगतान करे, हक़ीकी पश्चाताप स्वीकार होने के लिए निम्नलिखित तीन चीज़ो से स्वतंत्र होना अनिवार्य है।
जारी