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प्रत्येक पाप के लिए विशेष पश्चाताप 6

  • प्रकाशन तिथि:   2013-05-09 21:11:09
  • दृश्यों की संख्या:   510

पुस्तक का नामः पश्चाताप दया का आलंग्न

लेखकः आयतुल्ला अनसारीयान

 

2- दुनिया

सभी भैतिकवादी तत्वो और मानव जीवन की आवश्यक वस्तुओ से संपर्क ही इंसान की दुनिया है।

यदि यह संपर्क ईश्वर की इच्छानुसार हो तो निसंदेह मनुष्य की यह दुनिया प्रशंसा योग्य है, तथा परलोकी सआदत गारंटर है, परन्तु यदि मनुष्य का यही संपर्क भौतिकवाद एंव हवस के आधार पर हो जहा पर कोई प्रतिबंध न हो तो उस समय मनुष्य की यह दुनिया आलोचना योग्य एंव परलोक मे अपमान का कारण होगी।

निसंदेह यदि हवा व हवस के आधार पर और बेलगाम इच्छाओ के साथ भौतिक वस्तुओ से लगाव हो तो निश्चित रूप से मनुष्य पापो के दलदल मे फस जाता है।

इस अवैध संपर्क के कारण मनुष्य सैक्स धन एंव समपत्ति का आशिक बन जाता है, तथा इस मार्ग द्वारा ईश्वर के वैध और अवैध (हलाल और हराम) का विरोध करता हुआ दिखाई देता है।

इसी प्रकार के संमर्क द्वारा मनुष्य, भौतिक वस्तुओ तथा सेक्स मे खो जाता है जिस से अत्यधिक हानि होती है, तथा परलोक मे इसके कारण घाटा भुगतना पड़ेगा।

 

जारी

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