पुस्तकः पश्चाताप दया की आलिंग्न
लेखकः आयतुल्ला अनसारीयान
3- पश्चाताप की स्वीकृति
जिस समय जब कोई अपराधी अथवा दोषी व्यक्ति पश्चाताप के बारे मे ईश्वर की आज्ञा का पालन करता है तथा पश्चाताप की सभी शर्तो पर अमल करता है, और पश्चाताप से समबंधित क़ुरआन के दिखाए हुऐ मार्ग का चयन करता है, तो निसंदेह दयालु ईश्वर जिसने अपराधी एंव दोषी की पश्चाताप को स्वीकार करने का वचन दिया है वह कहता है, वह आवश्यक उसकी पश्चाताप को स्वीकार कर लेता है तथा उसके कर्मो मे उसके परिणाम को दर्शाता है तथा उसको पापो से मुक्त कर देता है, एंव उसके भीतर से तारीकी और अंधकार को प्रकाश मे परिवर्तित कर देता है।
أَلَمْ يَعْلَمُوا أَنَّ اللّهَ هُوَ يَقْبَلُ التَّوبَةَ عَنْ عِبَادِهِ . . .
अल्म यालमू अन्नल्लाहा होवा यक़बलुत्तोबता अन ऐबादेही...[1]
क्या नही जानते कि ईश्वर ही अपने बन्दो (सेवको) की पश्चाताप स्वीकार करता है...।
وَهُوَ الَّذِي يَقْبَلُ التَّوْبَةَ عَنْ عِبَادِهِ وَيَعْفُوا عَنِ السَّيِّئَاتِ . . .
वहोवल्लज़ी यक़बलुत्तोबता अन ऐबादेही व याफ़ू अनिस्सय्यआते...[2]
और वही वह है जो अपने बंदो (सेवको) की पश्चाताप को स्वीकार करता है तथा उनकी बुराईयो को क्षमा करता है...।
غَافِرِ الذَّنْبِ وَقَابِلِ التَّوْبِ . . .
ग़ाफ़ेरुज़्ज़ब्बे वा क़ाबेलूत्तोबे...[3]
वह पापो को क्षमा करने वाला तथा पश्चाताप को स्वीकार करने वाला है...।