पुस्तकः पश्चाताप दया की आलिंग्न
लेखकः आयतुल्ला अनसारीयान
हज़रत अली अलैहिस्सलाम दूसरे स्थान पर कहते हैः कि
مَنْ تابَ تابَ اللهُ عَلَيْهِ وَاُمِرَتْ جَوارِحُهُ اَنْ تَسْتُرَ عَلَيْهِ وَبِقاعُ الاَرْضِ اَنْ تَكْتُمَ عَلَيْهِ وَاُنْسِيَتِ الْحَفَظَةُ ما كانَتْ تَكْتُبُ عَلَيْهِ
“मन ताबा ताबल्लाहो अलैहे, वओमेरत जवारेहोहू अन तसतोरा अलैहे, वा बेक़ाउल अर्ज़े अन तकतोमा अलैहे, वा उनसेयतिल हफ़्ज़तो मा कानत तकतोबो अलैहे”[१]
जो व्यक्ति पश्चाताप करता है ईश्वर उसकी पश्चाताप को स्वीकार करता है, और उसके अंगो को आदेश दिया जाता है कि इसके पापो का कूटकरण (गुप्त) करो, तथा धरती से कहा जाता है कि इसके पापो को छुपा ले जो कुच्छ केरामन कातेबीन ने लिखा है ईश्वर उसे अनदेखी करता है।
हज़रत इमाम जाफ़र सादिक अलैहिस्सलाम का पवित्र कथन है, कि ईश्वर ने अपने दूत आदरणीय दाऊद अलैहिस्सलाम की ओर रहस्योद्धाटन (वही) कीः
اِنَّ عَبْدِىَ الْمُؤمِنَ اِذَا اَذْنَبَ ذَنْباً ثُمَّ رَجَعَ وَتَابَ مِنْ ذَلِكَ الذَّنْبِ وَاسْتَحْيى مِنّى عِنْدَ ذِكْرِهِ غَفَرْتُ لَهُ ، وَاَنْسَيْتُهُ الْحَفَظَةُ وَاَبْدَلْتُهُ الْحَسَنَةَ وَلاَ اُبالى وَاَنَا اَرْحَمُ الرَّاحِمينَ
इन्ना अब्देयल मोमिना एज़ा अज़नबा ज़म्बन सुम्मा रजाआ वा ताबा मिन ज़ालेकज़्ज़मबे वसतहया मिन्नि इन्दा ज़िकरेहि ग़फ़रतो लहू, वा अनसैतोहूलहफ़ज़तो, वा अब्दलतोहूलहसनता, वला ओबालि वाअना अर्हमुर्राहेमीना[२]
निसंदेह जब मेरा सेवक किसी पाप मे संक्रमित होता है और फिर अपने पाप से मुह मोड़ लेता है तथा पश्चाताप करता है तथा उस पाप को याद करके मुझ से शर्मिंदा होता है तो मै उसको क्षमा कर देता हूँ, और किरामन कातेबीन को भी भुला देता हूं, तथा उसके पाप को पुण्य मे परिवर्तित कर देता हूँ, मुझे कोई परवाह नही है क्योकि मै अत्यधिक दया करने वाला (अर्हमुर्राहेमीन) हूँ।
जारी