भारत में असहिष्णुता पर चर्चाओं का क्रम जारी है और राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कहा कि असहिष्णुता ख़तरनाक स्थिति में पहुंच गयी है।
शरद पवार ने वाई बी चव्हाण सभागार में देश भर के 70 इतिहासकारों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि स्कूली पाठ्यपुस्तकों में इतिहास को तोड़ मरोड़ कर भारत को एक ‘हिन्दू राष्ट्र’ में बदलने के प्रयास किए जा रहे हैं क्योंकि यह देश के धर्मनिरपेक्ष तानेबाने को नुकसान पहुंचाएगा। उन्होंने कहा कि आलेख लिखे जाने की आवश्यकता है और इस मुद्दे पर चर्चा की जानी चाहिए क्योंकि यह एक गंभीर मुद्दा है। उन्होंने इतिहासकारों से अगली पीढ़ी के लिए सच्चाई लिखने का आग्रह किया।
अपने संबोधन में पवार ने आरोप लगाया कि युवाओं के बीच जागरूकता पैदा किए जाने की आवश्यकता है कि कुछ लोग समाज में ज़हर फैलाने के लिए उन्हें दिग्भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं।
पवार ने अपने संबोधन के बाद ट्वीट किया कि इतिहासकार मौजूदा माहौल में असहिष्णुता को लेकर चिंतित हैं और यह काफ़ी ख़तरनाक है। उनका कहना था कि जिस प्रकार हिन्दू राष्ट्र के विचार को बढ़ावा दिया जा रहा है, वह देश की एकता और अखंडता के लिए ख़तरनाक सिद्ध हो सकता है। उन्होंने कहा कि इतिहासकारों के साथ उनकी बैठक केवल पहला क़दम है और आंदोलन को जीवित रखने के लिए विभिन्न समूहों का आयोजन कर वह इस मुद्दे को आगे ले जाएंगे।
दूसरी ओर असहिष्णुता पर जारी चर्चा के बीच आर्ट ऑफ लिविंग के श्री श्री रविशंकर ने कहा है कि उन्हें देश असहिष्णु नहीं लगता। उन्होंने कहा कि अवॉर्ड लौटाना सही नहीं है और यह देश की छवि के लिए ठीक नहीं था। रविशंकर ने कहा कि इस देश की मुख्यधारा की जनता बहुत सहिष्णु है और मैं तो कहूंगा कि यह हमारे डीएनए में है। श्री श्री रविशंकर ने कहा कि देश में कुछ तत्व हैं, लेकिन आप यह नहीं कह सकते कि देश की पूरी जनता ही असहिष्णु हो गई है।(AK)
source : irib