पुस्तकः पश्चाताप दया की आलिंग्न
लेखकः आयतुल्ला अनसारीयान
मजमउल बयान जो कि क़ुरआन की एक महत्वपूर्ण व्याखया है उसमे बेहतरीन रिवायत है किः
एक व्यक्ति ने इमाम हसन अलैहिस्सलाम से अकाल तथा महगाई की शिकायत की, तो इमाम अलैहिस्सलाम ने कहाः हे मानव अपने पापो से पश्चाताप करो, दूसरे व्यक्ति ने ग़रीबी एंव नादारी से सम्बंधित शिकायत की, उस से भी इमाम अलैहिस्सलाम ने कहाः अपने पापो से पश्चाताप करो, इसी प्रकार एक और व्यक्ति ने इमाम से आकर कहा किः मौला मेरे लिए प्रार्थना कीजिए कि ईश्वर मुझे संतान प्रदान करे तो इमाम अलैहिस्सलाम ने उसको भी यही उत्तर दियाः अपने पापो से पश्चाताप करो।
उस समय आपके असहाब (संगतियो, साथीयो) ने कहाः फ़रज़न्दे रसूल! आने वालो की शिकायते तथा विनति विभिन्न थी, परन्तु आपने सबको इस्तग़फ़ार और पश्चाताप करने का आदेश दिया! इमाम अलैहिस्सलाम ने कहाः मैने यह अपनी ओर से नही कहा है बल्कि सुरए नूह के छंद से यही परिणाम निकलता है जहाँ पर ईश्वर ने कहाः (इस्तग़फ़रू रब्बकुम...) (अपने पालनहार के सामने इस्तग़फ़ार और पश्चाताप करो), इसीलिए मैने सभी को इस्तग़फ़ार करने के लिए कहा है ताकि उनकी समस्याए पश्चाताप के माध्यम से हल हो जाए।[1]
पवित्र क़ुरआन तथा हदीसो से स्पष्टरूप से यह परिणाम निकलता है कि पश्चाताप के लाभ इस प्रकार हैः पापो से पवित्र हो जाना, ईश्वर की कृपा का अत्यधिक होना, ईश्वर का क्षमा करना, आखेरत की यातना से बचाव, स्वर्ग मे जाने का हक़ प्राप्त होना, आत्मा की पवित्रता, हृदय की स्वच्छता, अंगो की पवित्रता, ज़िल्लत एंव अपमान से उद्वार, नेमतो मे वृद्धि, धन दौलत एंव संतान द्वारा सहायता, उधानो तथा नदियो मे बरकत, अकाल और महंगाई एंव ग़रीबी का अंत।