पुस्तक का नामः दुआए कुमैल का वर्णन
लेखकः आयतुल्ला हुसैन अंसारीयान
इस लेख से पहले वाले लेख मे हमने यह बयान किया था कि जब जिब्राईल ने जमीन पर आकर उस व्यक्ति को उसके नाम की सूचना दी तो उसने अलहमदोलिल्लाह कहा जिस पर जिब्राईल को आश्चर्य हुआ तो उन्होने उससे प्रश्न किया जिसका उसने उत्तर दिया सब कुच्छ उसी की मर्ज़ी के आधीन है यदि मै स्वर्ग मे जाने के योग्य नही हूँ तो नरक का ईंधन तो बन सकता हूं। इस लेख मे आप अध्यन करेंगे कि जिब्राईल उसकी हालत पर रोते है और ईश्वर के दरबार मे वापस जाकर इस पूरी घटना को मालूम करते है।
यह सुनकर जिब्राईल उसकी हालत पर रोने लगे, उसी अवस्था मे ईश्वर के दरबार मे वापस लौट गए, ईश्वर का आदेश हुआ हे जिब्राईल दुबारा लौहे महफ़ूज़ का अध्यन करो कि
يَمْحُوا اللّهُ ما يَشَاءُ وَ يُثْبِتُ
“यमहुल्लाहो मा यशाओ वा योसब्बित”[१] के लेखक ने क्या लिखा तथा
وَيَفْعَلُ اللّهُ ما يَشاء
“यफ़अलुल्लाहो मा यशाओ”[२] के मालिक ने क्या लिखा है?
जिब्राईल ने देखा तो उसका नाम नेकबख्तो की सूची मे लिखा हुआ है, जिब्राईल को अत्यधिक आश्चर्य हुआ, प्रश्न किया हे पालनहार इस घटना का रहस्य क्या है, किस प्रकार एक पापी एंव दोषी व्यक्ति महबूब बन गया?
ईश्वर ने उत्तर दियाः हे रहस्योद्धाटन के अमीन! चूकि वह तपस्वी अपने लिए निर्धारित किए हुए स्थान का समाचार सुनकर रोया नही उसने कोई विनती नही की बल्कि उसने धैर्य की वादी मे कदम रखा तथा ईश्वर के हुक्म पर राज़ी रहा और अपनी ज़बान से अलहमदोलिल्लाह कहा और मुझे मेरे सभी नामो से याद किया, जिसके कारण मेरी दया एंव कृपा को जोश आ गया कि अलहमदोलिल्लाह कहने वाले को बदबख्तो की सूची से निकाल कर नेकबख्तो की सूची मे लिख दूं, इसलिए मैने इसका नाम नेकबख्तो की सूची मे लिख दिया है।[३]