दर्से क़ुरान और हदीस का आयोजन
माहे रमज़ान में रोज़ेदार नमाज़ी इबादते इलाही कर अपने रब की इबादत में मसरूफ़ हैं। विभिन्न स्थानों पर दर्से क़ुरान का आयोजन कर रोज़ेदारों को क़ुरान और माहे नमज़ान का महत्व बताया जा रहा है, जिसमें बड़ी संख्या में रोज़दार भाग ले रहे हैं। इस सिलसिले में हरदोई रोड के सरफ़राज़गंज स्थित अलमुअम्मल कल्चरल फाउन्डेशन में शुक्रवार से दस दिवसीय दर्से क़ुरान और अक़ाएद का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें विभिन्न उलमा अलग-अलग विषयों पर अपने विचार व्यक्त करेंगें। फाउन्डेशन के मौलाना एहतेशाम ने बताया कि आज रात हुए दर्से क़ुरान में मौलाना इस्तेफ़ा रज़ा ने नमज़ान की दुआओं में इमामे वक़्त का ज़िक्र विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए। आठ अगस्त से मौलाना हसनैन बाक़िरी जौरासी रमज़ान बहारे क़ुरान विषय पर व्याख्यान देंगें। वहीं सुबह दस बजे से पूर्वांह ग्यारह बजे तक महिलाओं के लिये दर्से क़ुरान का आयोजन किया जा रहा है जिसमें ज़ीनत फ़ातिमा महिलाओं को दर्से क़ुरान दे रहीं हैं।
तौहीद इस्लामिक क्लब की ओर से एक परिचर्चा का आयोजन मौलाना बशारत हुसैन जाफ़री ने करते हुए रोज़दारों को रोज़ों का महत्व बताया, इस अवसर पर युनिटी मिशन के सय्यद आले हाशिम ने माहे रमज़ान की फ़ज़ीलत बयान की। क्लब के अध्यक्ष डा. मुहम्मद शाहिद ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि माहे रमज़ान हमे गुनाहों से बचने और नेकियों को अपनाने का मौक़ा देता है।
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