Hindi
Monday 7th of October 2024
0
نفر 0

इस्राईली आतंक के विरोध की सज़ा

इस्राईली आतंक के विरोध की सज़ा

शायद ही कोई हो, जो इस तथ्य से अवज्ञत न हो कि दो एक को छोड़ कर कोई ऐसा अरब देश नहीं है जहाँ जनता के शासन या लोकतंत्र हो बल्कि कुछ देशों में न केवल पारिवारिक शाही सरकारें हैं बल्कि शासकों ने अमेरिका के इशारे पर अपने ही पिता के खिलाफ विद्रोह कर सत्ता पर क़ब्जा किया है

आज दुनिया का शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो सीरिया की स्थिति से अवज्ञत न हो यह अलग बात है कि कुछ लोग वह हैं जो पश्चिमी मीडिया और उनके अधीन काम करने वाले कुछ अरब देशों का मीडिया, से सीरिया के विरूद्ध होने वाले झूठे प्रचारों से अधिक प्रभावित हैं। जबकि जिन लोगों को स्वतंत्र सूत्रों से खबरें प्राप्त हो रही हैं वह न केवल काफी हद तक सच्चाई से अवज्ञत हैं बल्कि उन्हें इस स्थिति पर दुख और चिंता भी है। शायद ही कोई हो, जो इस तथ्य से अवज्ञत न हो कि दो एक को छोड़ कर कोई ऐसा अरब देश नहीं है जहाँ जनता के शासन या लोकतंत्र हो बल्कि कुछ देशों में न केवल पारिवारिक शाही सरकारें हैं बल्कि शासकों ने अमेरिका के इशारे पर अपने ही पिता के खिलाफ विद्रोह कर सत्ता पर क़ब्जा किया है। सऊदी अरब, क़तर, जार्डेन, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात आदि वह अरब देश हैं जहां जनता को अपने भविष्य निर्धारण का अधिकार नहीं है बल्कि उनके और उनकी अगली पीढ़ियों के भविष्य के सारे निर्णय केवल एक व्यक्ति करता है जिसे बादशाह कहा जाता है। परन्तु सीरिया जैसे कुछ अरब देश ऐसे भी हैं जहां पहले एक पार्टी ही सही लेकिन चुनाव द्वारा सत्ता में आती थी। शाम में वर्तमान राष्ट्रपति बश्शार असद के पिता स्वर्गीय हाफिज असद सार्वजनिक चुनावों के बाद निर्वाचित हुए थे और उन्हें बड़ी संख्या में जनता का समर्थन हासिल होने की एक बड़ी वजह अपहारक ज़ायोनी शासन के विरूद्द उनका प्रतिरोध था। जिसका उन्होंने मरते दम तक प्रदर्शन किया और न केवल इस्राइल विरोधी पक्ष पर डटे रहे बल्कि स्वयं ज़ायोनी शासन के विरुद्ध संघर्षशील तथा प्रयास करते रहे और उन आंदोलनों एंव संगठनों की भी सहायता करते रहे जो मुसलमानों के पहले क़िब्ले बैतुल मुक़द्दस की पुनः प्राप्ति और फ़िलिस्तीनी जनता के पक्ष के की लड़ाई लड़ रही थीं।स्वर्गीय हाफिज असद के बाद सीरिया की बास पार्टी ने देश के जवान नेता और हाफ़िज़ असद के बेटे बश्शार असद को पार्टी का लीडर नियुक्त किया और सार्वजनिक चुनाव के बाद उन्हें राष्ट्रपति की कुर्सी तक पहुंचाया। बश्शर असद एक पढ़े लिखे जवान नेता हैं जिनमें अत्याचारी शासनों से लड़ने की हिम्मत है।राष्ट्रपति बश्शर असद ने ना केवल ज़ायोनी शासन के विरुद्ध अपने बाप के आंदोलनों का भरपूर समर्थन किया और नए उदगार व उल्लास के साथ इस्राईल की हड़प लेने वाली नीतियों के खिलाफ संघर्ष आरम्भ किया बल्कि अपने देश के राजनीतिक माहौल को और अधिक आज़ादी दीने का निश्चय लिया। इस उद्देश्य के लिए राष्ट्रपति बश्शार असद ने देश में राजनीतिक सुधार का प्रोग्राम तय्यार किया और उत्तरोत्तर उनको क्रियात्मक बनाना शुरू कर दिया. जिसके परिणाम स्वरूप इस समय न केवल एक स्वतंत्र संसद मौजूद है बल्कि देश में सुधार के परिणाम स्वरूप दसियों राजनीतिक दल अस्तित्व में आ चुके हैं। देश के राजनीतिक माहौल में लोकतंत्र की सुगंध बिखेरने के बाद जब आज़ादी की ठंडी हवाएं अरब देशों तक पहुंचीं तो राजसी स्वभाव को स्वतंत्रा के ठंडे झोके सख्त अप्रिय लगे और उन्होंने सारा गुस्सा सीरिया के राष्ट्रपति बश्शार असद पर उतार दिया। इस स्थिति की समीक्षा कर रहे सीरिया में पाकिस्तानी विश्लेषण श्री शफ़क़त शिराज़ी कहते हैः आश्चर्य की बात यह है कि शाम में लोकतंत्र की मांग अरब देशों में बिराजमान तानाशाहों की ओर से किया जा रहा है जहां बिना आज्ञा पत्ते को भी हिलने की अनुमति नहीं है। जब कि सीरिया में अभी अभी अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों की उपस्थिति में संसदीय चुनाव हुए हैं और एक स्वतंत्र संसद अस्तित्व में आई है। और देश में दसियों राजनीतिक दल अस्तित्व में आ चुके हैं लेकिन अमेरिकी साम्राज्य की नज़र केवल वह देश लोकतांत्रिक है जो सार्वजनिक रूप से या गुप्त रूप से जायोनी सरकार का समर्थक व सहायक हो चाहे उस देश में वर्षों से साम्राज्यवाद शासन व्यवस्था स्थापित हो और एक बार भी चुनाव नहीं होता हो और अगर सीरिया जैसे देश जो जायोनी सरकार विरोधी हैं और उसकी अतिक्रमणकारी नीतियों के खिलाफ संघर्ष रहा है उसकी सरकार बदलने के लिए विभिन्न प्रकार के षड़यंत्र रच रहे हैं उसके लिए चाहे उन्हें हजारों बेगुनाह बच्चों और औरतों का ही ख़ून क्यों न बहाना पड़े, सीरिया के वर्तमान हालात इसका सबसे बड़ा प्रमाण है।.........166

 


source : www.abna.ir
0
0% (نفر 0)
 
نظر شما در مورد این مطلب ؟
 
امتیاز شما به این مطلب ؟
اشتراک گذاری در شبکه های اجتماعی:

latest article

भयभीत है आले ख़लीफ़ा शासन
सीरियाई सेना ने दर्जनों ...
ईद ग़दीर का पावन पर्व
इमाम मुहम्मद तक़ी अ. का जीवन परिचय
पवित्र रमज़ान भाग-4
हज़रते मासूम-ए-क़ुम का जन्मदिवस
हज और इस्लामी जागरूकता
मानवता के अंतिम मुक्तिदाता हज़रत ...
इन्तेज़ार- सबसे बड़ी इबादत।
इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम

 
user comment