भारत में जातिगत जनगणना के आंकड़े सामने आने के बाद अब इस पर राजनीति तेज़ हो गयी है और इसकी पहल करते हुए देश की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के चरमपंथी नेता और सांसद योगी आदित्यनाथ ने केंद्र सरकार से मुसलमानों की बढ़ती आबादी पर रोक लगाने की मांग की है।
भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के गोरखपूर ज़िले से सांसद योगी अदित्यनाथ ने कहा है कि भारत में मुसलमानों की तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या एक ख़तरनाक रुझान है, जिसके लिए केंद्र सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए और मुसलमानों की बढ़ती जनसंख्या के नियंत्रण के लिए सख़्त क़दम उठाए।
दूसरी ओर भारत में जनसंख्या मामलों के विशेषज्ञ टीकाकारों का कहना है कि भारत में आदित्यनाथ जैसे लोग केवल आम लोगों को भ्रमित कर रहे हैं, क्योंकि भारत में जनसंख्या वृद्धि दर में अंतर के बावजूद 10 वर्षों में हिंदुओं की आबादी लगभग उतनी ही बढ़ जाती है जितनी देश में मुसलमानों की कुल आबादी है।
एक प्रश्न जो सालों से विभन्न हिंदू चरमपंथी समूहों की ओर से उठाया जाता रहा है कि भारत में मुसलमान ज़्यादा तेज़ी से बढ़ रहे हैं और एक दिन वो आएगा जब पूरे देश में मुसलमान हिंदुओं से ज़्यादा हो जाएंगे। जनसंख्या मामलों के विशेषज्ञों ने इस तरह के सवालों को भ्रम फैलाने वाला प्रश्न बताया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि जब हर दस साल में देश में लगभग इतने हिंदू बढ़ जाते हैं जितनी मुसलमानों की कुल आबादी है, तो फिर कैसे वह दिन आ सकता है जब भारत में मुसलमान हिंदुओं के बराबर हो जाएंगे?
यह सत्य है कि मुसलमानों की जनसंख्या बढ़ने की दर हिंदुओं की जनसंख्या बढ़ने की दर से अधिक है और 2001 से 2011 तक हिंदुओं की जनसंख्या 16.8% की दर से बढ़ी है तो मुसलमानों की जनसंख्या 24.6% की दर से बढ़ी है।
अब अगर भारत के हिंदू चरमपंथियों की यह बात मान भी ली जाए कि मुसलमानों की जनसंख्या इसी रफ़्तार से बढ़ती रही तो वे हिंदूओ के बराबर हो जाएगी, तो आप जानते हैं अगर दोनों समुदाय की जनसंख्या इसी रफ़्तार से लगातार बढ़ती रहेगी तो मुसलमानों की संख्या हिंदुओं की संख्या के बराबर कब पहुंच सकती है? और दोनो की जनसंख्या बराबर होने के लिए जानते हैं भारत की कुल जनसंख्या कितनी होगी? 13,000 करोड़। जी हां, बढ़ते बढ़ते जब भारत की कुल जनसंखया 13 हज़ार करोड़ हो जाएगी, तब जाकर हिंदू मुसलमान बराबर होंगे 6,500 करोड़ और 6,500 करोड़ और यह उस वक़्त संभव है जब दोनों अपनी आज की रफ़्तार से बढ़ते रहे तब और उसके लिए 270 साल का इंतेज़ार करना होगा।
टीकाकारों का मानना है कि यह एक असंभव सी बात है, जबकि देश में मुसलमानों की जनसंख्या बढ़ने की रफ़्तार भी धीमी हो रही है, और जैसे जैसे देश में शिक्षा और संपन्नता बढ़ेगी, हर समुदाय की जनसंख्या वृद्धि दर बढ़ने की रफ़्तार लगभग बराबर होने लगेगी, जैसा की विकसित देशों में होता है। (RZ)
source : irib.ir