जायोनी शासन ने फिलिस्तीन के पश्चिमी किनारे के अतिग्रहित क्षेत्रों को सैनिक छावनी में बदल दिया है।
जायोनी शासन ने वर्ष 1967 में पश्चिमी किनारे के जिन क्षेत्रों का अतिग्रहण किया था उन क्षेत्रों में फिलिस्तीनियों की आवाजाही को 11 मई से बंद कर दिया था ताकि इस्राईल की अवैध स्थापना का जश्न बैतुल मुक़द्दस में आरंभ हो सके। जायोनी शासन की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था का कारण इस्राईल द्वारा 14 मई को फिलिस्तीन के अतिग्रहण की 68वीं वर्षगांठ है।
जायोनी शासन ने 11 मई से ही इस्राईल की अवैध स्थापना की 68वीं वर्षगांठ के जश्न मनाने के कार्यक्रमों का आयोजन आरंभ कर दिया है। फिलिस्तीनी इस दिन को त्रासदी, विपत्ती या नकबा दिवस के रूप में मनाते हैं और प्रतिवर्ष उस दिन प्रदर्शन करके और रैलियां निकाल कर वर्ष 1948 और 1967 में अतिग्रहित भूमियों के प्रति अपनी आपत्ति जताते हैं।
फिलिस्तीन का अतिग्रहण फिलिस्तीनी इतिहास की एक कटु त्रासदी है जिसका आरंभ ही फिलिस्तीनियों की हत्या और बेघर होने से हुआ है जो दशकों का समय बीत जाने के बावजूद अब भी जारी है।
इस्लामी जगत के संवेदनशील क्षेत्र में जायोनी शासन की अवैध स्थापना से यह क्षेत्र ज्वालामुखी और संकट के केन्द्र में परिवर्तित हो गया है इस प्रकार से कि फिलिस्तीनी भूमियों के अतिग्रहण के 68 वर्ष बीत जाने के बावजूद अब भी इस क्षेत्र में फिलिस्तीनियों की हत्या और दूसरे अपराध यथावत जारी हैं और इसका मूल कारण पश्चिम और अंतरराष्ट्रीय जायोनिज़्म के अवैध हित हैं।
बहरहाल पश्चिम की वर्चस्वादी सरकारों के समर्थन से ही जायोनी शासन ने फिलिस्तीन में अपने अवैध अस्तित्व की घोषणा की थी और जब तक जायोनी शासन को इन शक्तियों का समर्थन प्राप्त रहेगा तब तक फिलिस्तीनी भूमियों के अतिग्रहण और फिलिस्तीनी जनता की पीड़ाओं की समाप्ति की कामना नहीं करनी चाहिये।
source : abna24