इमाम सादिक अलैहिस्सलाम
''मोमिन का शरफ नमाज़े शब और उसकी इज़्ज़त लोगो का तहफ्फुज़ (हिफाज़त) करना है।
इमाम सादिक अलैहिस्सलाम
गाने से निफाक (मुनाफिकत) और ग़ुरबत पैदा होती हैं।
इमाम सादिक अलैहिस्सलाम
हर गुनाह की अस्ल दुनियादारी की मौहब्बत हैं।
इमाम सादिक अलैहिस्सलाम
बेहतरीन नेकी अच्छा अखलाक़ हैं।
इमाम सादिक अलैहिस्सलाम
(नेकी की तरफ लोगो को बुलाना) अम्र-बिल-मारूफ व नही अनिल मुनकर मोमिन को किया जाऐ ताकि वो नसीहत हासिल करे और जाहिल को किया जाऐ ताकि वो इल्म हासिल करे।
इमाम सादिक अलैहिस्सलाम
ज़लील और पस्त वो है कि जो कि शराब पीता हैं और बाजा बजाता हैं।''
इमाम सादिक अलैहिस्सलाम
तीन चीज़े रोज़े कयामत फरयाद करेगी
• पहली मस्जीद- जिसमे नमाज़ ना पड़ी जाऐ
• आलिम -जिससे मसला न दरयाफत किया जाऐ
• कुरआन- जिस पर गरदो ग़ुबार जमा हो जाऐ।
इमाम सादिक अलैहिस्सलाम
झूठा हैं वो शख्स जो ये गुमान करता हैं के वो नमाज़े शब पढ़ता हैं और भूका रहता हैं क्योकि नमाज़े शब उस रोज़ की रोज़ी की जमानत हैं।
इमाम सादिक अलैहिस्सलाम
जो शख्स छुप कर गुनाह कर ले तो उसे चाहिए के छुप कर नेक अमल अंजाम दे और जो शख्स सब के सामने गुनाह करे तो उसे चाहिए कि सबके सामने नेक काम अंजाम दे।
इमाम सादिक अलैहिस्सलाम
कुफ़्र की बुनियाद तीन चीज़ो पर हैः लालत, घमण्ड और हसद (जलन)
इमाम सादिक अलैहिस्सलाम
झूठ रिज़्क़ को कम करता है।
source : alhassanain