जर्मनी में वकालत की ट्रेनिंग करने वाली एक मुसलमान महिला ने हिजाब के साथ ट्रेनिंग का अधिकार हासिल करने में सफलता हासिल की।
25 साल की अक़ीला संधू से जब यह कहा गया कि वह हिजाब के साथ कार्यस्थल में उपस्थित नहीं हो सकती तो उन्होंने बवारिया राज्य में अदालत में शिकायत की। उनकी शिकायत पर जज ने आदेश दिया कि अक़ीला संधू के कार्यालय में इस्लामी लेबास के साथ हाज़िर होने में कोई रुकावट नहीं है किन्तु स्थानीय अधिकारी इस फ़ैसले पर पुनर्विचार का आवेदन देने का इरादा रखते हैं।
अक़ीला संधू ने जो आग्ज़बर्ग क़ानून विद्यालय की बहुत योग्य छात्राओं में थीं, क़ानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद बवारिया के न्याय तंत्र में अपनी ट्रेनिंग शुरु की। इसके साथ ही इस मुसलमान महिला को एक ख़त मिला जिसमें लिखा था कि वे अपने हेजाब के साथ न तो अदालत में हाज़िर हो सकती हैं और न ही गवाहों से पूछताछ कर सकती है।
‘लोकल’ नामक वेबसाइट के अनुसार, बवारिया के न्यायिक अधिकारियों ने इस मुसलमान महिला के उस आवेदन पर जिसमें उन्होंने हेजाब पर रोक लगाने के बारे में स्पष्टीकरण मांगा था, दावा किया कि इस्लामी लेबास से मुवक्किल के मन में न्यायिक तंत्र की धार्मिक निष्पक्षता के संबंध में संदेह पैदा हो सकता है।
अक़ीला संधू ने अदालत में कहा, “मुझे विश्वास है कि जर्मनी में योग्यता के सिद्धांत को अहमियत दी जाती है और मुझे लगता है कि यह बहुत लज्जाजनक बात है कि मुझे इतना गिराया जाए कि मेरे विदित रूप के बारे में फ़ैसला किया जाए।”
source : abna24