अहलेबैत (अ) न्यूज़ एजेंसी अबना: जर्मनी की 25 वर्षीय महिला '' हाना नलह '' ने इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम के रौज़े में इस्लाम स्वीकार करने के बाद अपना नाम '' ज़हरा '' चुना।
इस बीच रौज़े के विदेशी ज़ायरीन से संबंधित कार्यालय के ज़िम्मेदार सैयद जवाद हाशमी नेजाद ने इस्लाम के बारे में बात करते हुए दीन के सिद्धांत, शिया धर्म और इस्लाम को अपनाने के नियमों के बारे में बताया और कहा: इस्लाम में प्रवेश करना एक शुभ अवसर है जो आप को नसीब हुआ है।
उन्होंने वर्तमान समय में इस्लाम के खिलाफ दुश्मनों की साज़िशों की ओर इशारा करते हुए कहा कि इस समय पश्चिमी मीडिया इस्लाम के तथ्यों को छिपाने और उसका चेहरा बिगाड़ने की अनथक कोशिश कर रहा है।
नवमुस्लिम महिला ने इस्लाम के बारे में बातचीत करते हुए कहा कि मैंने इस्लामी पुस्तकों का अध्ययन करने के बाद ज़हरा नाम को अपने लिए सबसे अच्छे नाम के रूप में चुना है और मुझे आशा है कि मैं हज़रत ज़हरा और अइम्मा मासूमीन को अपने लिए मार्गदर्शक बनाते हुए अल्लाह के आदेश को अंजाम देने में सफल हो सकूँगी।
उन्होंने कहा: इस्लाम के प्रति मेरा शौक इमाम हुसैन और कर्बला के बारे में कुछ चीजों का अध्ययन करने से पैदा हुआ लगभग एक साल से मानसिक रूप से मुसलमान हूं लेकिन आज अपनी ज़बान से कलमा पढ़ करके ज़ाहिरी तौर पर भी मुसलमान और शिया हो गई हूँ।
हानानलह ने कहा: इमाम रेज़ा अलैहिस्सलाम के रौज़े में, एक विशेष आध्यात्मिक स्थिति और आराम और सुकून महसूस कर रही हूँ बेशक अहले बैत (अ) के लिए मेरे दिल में मुहब्बत पैदा हो चुकी है।
गौरतलब है कि विदेशी ज़ायरीन के कार्यालय ने इस नवमुसलमान महिला को जर्मनी भाषा में अनुवादित कुरान की एक प्रति, नमाज़ की चादर और जानमाज़ उपहार के रूप में दी।