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Tuesday 26th of November 2024
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बोको हराम की आतंकवादी महिलाऐं मासूम बच्चों को बना रही हैं हथियार।

बोको हराम की आतंकवादी महिलाऐं मासूम बच्चों को बना रही हैं हथियार।

नाइजीरिया के अधिकारियो ने चेताया है कि बोको हराम की महिला विंग बम रखते समय पुलिस कि निगाहों से बचने के लिए नवजात बच्चो को गोद में लिए रहती हैं।
बीबीसी कि रिपोर्ट के अनुसार नाइजीरिया के अधिकारियो ने कहा है कि बोको हराम पिछले काफी समय से महिलाओ को आत्मघाती हमलावर के रूप में उपयोग कर रहा है लेकिन नवजात शिशुओ का ऐसा प्रयोग एक खतरनाक चलन हो सकता है। १३ जनवरी को बोको हराम की दो आत्मघाती महिलाओं ने मादागली चेक पोस्ट से गुज़र कर पूर्वी नाइजीरिया के अदामावा प्रान्त में खुद को उड़ा दिया था इस हमले में ४ लोगो की मौत हो गई थी।
जाँच करने पर ये बात सामने आयी के उक्त महिलाएं अपनी गोद में नवजात शिशुओं को लिए हुए थी जिससे पुलिसकर्मी चकमा खा गए और उन्हें बिना जाँच के जाने दिया।
इन हमलो का शक तकफ़ीरी वहाबी आतंकवादी गुट बोको हराम पर है जिसकी विशेषता यही है कि वो आत्मघाती हमलो में औरतों और नवयुवतियों का इस्तेमाल करता है यह संगठन आईएस का सहयोगी है जो मिडिल ईस्ट से लेकर अफ्रीका तक खून कि होली खेलता रहा है।
२०१५ में भी इस संगठन की चार औरतें एक हमले की ताक में थी जिनमें से दो नवजात बच्चे लिए हुए थी और चेक पोस्ट से आराम से निकल गई और दो पकड़ी गई थीं।
नाइजीरिया सरकार पिछले आठ साल से इस आतंकवादी संगठन से जूझ रही है जब से इस संगठन ने उत्तर पूर्वी नाइजीरिया में अपने पैर फैलाने शुरू किये थे। इस संघर्ष में अभी तक १५ हज़ार से अधिक लोग मारे जा चुके है और २० लाख से ज़्यादा लोग बेघर हो चुके है !
१६ जनवरी को एक जवान लड़की ने अपने जैकेट बम से बोर्नो की एक यूनिवर्सटी में एक प्रोफेसर सहित ४ लोगों की जान ले ली थी।
पश्चिमी अफ्रीका में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग के अधिकारी टोबी लंजर के अनुसार यहाँ बोको हराम ने ५ लाख से ज़्यादा बच्चो की ज़िन्दगी को भुखमरी के कगार पर ला खड़ा किया है उन्होंने कहा है शीघ्र सहायता ही इनकी जान बचा सकती है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी अफ्रीका के कुछ हिस्सों में हालात इतने ख़राब है कि बड़ों में इतनी ताक़त नहीं है कि वह रास्ता चल सके और २-४ साल के बच्चे तो है ही नहीं सब भुखमरी के कारण मर चुके हैं !
उन्होंने कहा कि पश्चिम अफ्रीका में नइजीरिया और चाड झील का इलाक़ा सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं यहाँ १ करोड़ दस लाख लोगों को मानव सहायता की आवश्यकता हैं बाकी बचे ७० लाख लोग भी खाने की किल्लत से जूझ रहे हैं।

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