बहरैन के वरिष्ठ धर्म गुरु शैख़ ईसा क़ासिम पर मुक़द्दमे का फ़ैसला सुनाए जाने के अवसर पर सऊदी अरब की रिज़र्व सेना बहरैन में दाख़िल हो गयी है।
अलमनार टीवी चैनल की रिपोर्ट के अनुसार, बहरैन के स्थानीय सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि रविवार सात मई को शैख़ ईसा क़ासिम के विरुद्ध मुक़द्दमे की सुनवाई होगी। कुछ सूत्रों का कहना है कि शैख़ ईसा के मुक़द्दमे का फ़ैसला न्यायालय ने सुरक्षित रख लिया था और न्यायालय सात मई को फ़ैसला सुना सकती है।
यह एेसी स्थिति में सऊदी अरब के सैनिक, बहरैन से सऊदी अरब को जोड़ने वाले मलिक फ़हद पुल से बहरैन में प्रविष्ट हो गये हैं। आले ख़लीफ़ा शासन शैख़ ईसा क़ासिम पर मनि लांड्रिंग के आरोप में शैख़ ईसा को मार्च के महीने में सज़ा सुनाने वाला था किन्तु जनमत के भीषण दबाव के कारण उसने मुक़द्दमे की सुनवाई मई महीने तक स्थगित कर दी थी।
सऊदी अरब और इमारत के सैनिकों की बहरैन में तैनाती का इस देश की जनता निरंतर विरोध कर रही है। बहरैन में 2011 से जनता के सरकार विरोधी शांतिपूर्ण प्रदर्शन जारी हैं।
बहरैन, सऊदी अरब और इमारात के सैनिक जनता के शांतिपूर्ण प्रदर्शन का भीषण तरीक़े से दमन कर रहे हैं।
बहरैनी सुरक्षा कर्मियों ने एक बार फिर बहरैन की राजधानी मनामा के दुराज़ क्षेत्र में नमाज़े जुमा के आयोजन पर प्रतिबंध लगा रखा। यह एेसी हालत में है कि दुराज़ क्षेत्र में जनता ने शैख़ ईसा क़ासिम के समर्थन और समस्त राजनैतिक क़ैदियों की स्वतंत्रता के लिए प्रदर्शन किए।