एक रात को हारून रशीद ने अपने मंत्री जाफर बरमकी को बुलाया और उससे कहा जाफर आज रात मैं थका हूं और मैं महल से बाहर चलना चाहता हूं और बग़दाद की गलियों में टहलना चाहता हूं। आओ हम व्यापारियों का वस्त्र धारण करते हैं और विदित में अज्ञात व अनजान बनकर शहर में घूमते हैं ताकि लोगों की हालत से भी अवगत हो जायेंगे। मंत्री ने कहा मेरे स्वामी आप जो आदेश करें मैं वही अंजाम दूंगा।
उसके तुरंत बाद राजशाही का वस्त्र उतारा और उसके स्थान पर साधारण वस्त्र पहन लिया। ख़लीफ़ा हारून रशीद ने कहा मैं यह नहीं चाहता कि मेरे साथ अंग रक्षक और दूसरे तामझाम आयें केवल एक तलवार चलाने वाले को सूचित करो और वही हमारे साथ आये। मंत्री ने आदेश का पालन किया और तलवार चलाने वाले मसरूर को सूचित किया और वह उनके साथ आ गया। इस प्रकार तीनों आदमी महल से बाहर गये। वे बग़दाद शहर में इधर- उधर गये यहां तक कि वे दजला नदी के किनारे पहुंचे। कुछ देर तक दजला के किनारे खड़े रहे। वहां उन्होंने देखा कि एक बूढ़ा आदमी नदी के किनारे अपनी नाव में बैठा हुआ है। उन लोगों ने उसे बुलाया और कहा हे बूढ़े सज्जन अपनी नाव से हमें दजला के उस पार ले चलेगा इसके बदले में हम तुझे सोने का एक सिक्का देंगे। बूढ़े व्यक्ति ने कहा यह काम संभव नहीं है।
यह समय दजला में घुमने -टहलने का नहीं है। हर रात को हारून रशीद ख़लीफा नाव पर बैठ कर इधर- उधर जाता है और उसके ढिंढ़ोरा पीटने वाले आवाज़ देते हैं कि हे लोगो खलीफा ने कहा है कि जो भी इसके बाद दजला में होगा उसकी गर्दन मार दी जायेगी या उसे उसकी नाव के पाल से लटका दिया जायेगा ताकि वह मर जाये। जब खलीफा हारून रशीद और उसके मंत्री जाफर बरमकी ने यह बात सुनी तो उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ और उन्होंने कहा हे बूढ़े व्यक्ति तुझे दो सिक्के देंगे मुझे नदी के उस पार छोटे मीनार तक पहुंचा दे जब ख़लीफा हारून रशीद दजला से गुज़रेगा जायेगा तो हम छिप कर उसे देखेंगे। बूढ़े व्यक्ति ने स्वीकार कर लिया और कहा, पहले पैसा दो फिर तीनों आदमी सवार हो जाओं। उन लोगों ने पहले पैसा दिया और उसके बाद नाव में बैठ गये। बूढ़े व्यक्ति ने नाव चलाना आरंभ किया अभी नाव अधिक दूर नहीं गयी थी कि अचानक उन लोगों ने एक नाव देखा जिस पर सैकड़ों चेराग़ जल रहे थे और वह नदी के बीच गुज़र रही थी। बूढ़े व्यक्ति ने कहा देखा मैंने कहा था कि ख़लीफा हर रात को दजला नदी में नाव में सवार होकर आता है। ईश्वर हम पर दया करे।
अगर वह हमें देख लेगा तो हम सबको अपनी जान से हाथ धोना पड़ेगा। यह बात उसने कही और नाव को तेज़ी से मीनार की ओर ले गया। जब वे मीनार तक पहुंच गये तो तुरंत नाव से उतर गये और मीनार की सीढ़ियों से ऊपर गये और छिपकर प्रतीक्षा करने लगे कि ख़लीफा की नाव निकट आ जाये। जिस नाव में क़ुल्लाबी या नक़ली ख़लीफा बैठा था उसके अगले भाग में एक शक्तिशाली व्यक्ति खड़ा था और उसके हाथ में सोने का एक चेराग़दान था जिसमें अगरबत्ती जल रही थी और उसकी महक चारों ओर फैल रही थी। नाव के पीछे की ओर दूसरा व्यक्ति खड़ा था जो बहुत क़ीमती वस्त्र पहने हुए था और उसके हाथ में भी सुनहरा चेराग़दान था। नाव के भीतर बहुत सारे दास- दासियां थीं और उनमें से हर एक किसी न किसी काम में व्यस्त था। नाव के ठीक बीच में एक सोने का एक तख्त रखा हुआ था जिस पर एक जवान बैठा हुआ था और मंत्री और तलवार चलाने वाले दो व्यक्ति उसके दायें-बायें खड़े थे। हारून रशीद ने जब यह दृश्य देखा तो उसने आश्चर्य से अपने मंत्री की ओर देखा और कहा जाफर क्या यह मेरा एक बेटा नहीं है? मैं इस अंधेरे में अच्छी तरह से नहीं देख पा रहा हूं इस पर जाफर बरमकी ने कहा हे मेरे स्वामी अगर आप थोड़ा ध्यान से देखें तो समझ जायेंगे कि वह अजनबी है।
हारून रशीद ने कहा अजीब! ईश्वर की सौगन्ध जो इस नाव के बीच में बैठा है उसके अंदर मुझसे जो कि वास्तविक ख़लीफा हूं कोई चीज़ कम नहीं है। जो इसके दाहिनी ओर खड़ा है वह तुम्हारी तरह है और जो उसकी बायीं ओर खड़ा है वह स्वयं हमारे मसरूर जैसा है। मैं भ्रम में पड़ गया हूं तुम ही बताओ मैं जो देख रहा हूं वह सही है? जाफर बरमकी ने कहा ईश्वर की सौगन्द मुझे भी बड़ा आश्चर्य है मेरी भी कुछ समझ में नहीं आ रहा है। कुछ देर में नाव वहां से गुज़र गयी। नाव चलाने वाले बूढ़े व्यक्ति ने कहा। ईश्वर का धन्याद कि सब कुछ ठीक-ठाक गुज़र गया। अब नाव पर बैठो ताकि वापस चलें। हारून रशीद ने पूछा क्या यह नाव हर रात दजला से गुजरती है? नाविक ने कहा हां एक वर्ष के निकट है कि ख़लीफ़ा हर रात नाव पर बैठकर दजला से जाता है।
हारून रशीद ने कहा हे भले बूढ़े व्यक्ति अगर तू कल भी ख़लीफा की नाव दिखाने ले आये तो हम तूझे सोने का पांच सिक्का देंगे। इस शहर में हम नये हैं अब तक हमने इतने निकट से ख़लीफा को नहीं देखा था और यह हमारे लिए बड़े गर्व की बात है। बूढ़े व्यक्ति ने स्वीकार कर लिया और वे नाव में बैठकर वापस आ गये।
जारी है।।।।।।।।।।