बहरैनवासियों ने आज फिर बहरैन के विभिन्न नगरों में विरोध प्रदर्शन किये। अलआलम टीवी चैनेल ने रिपोर्ट दी है कि "चौदह फ़रवरी" गठजोड़ के अनुरोध पर बहरैन की जनता ने राजधानी मनामा सहित बहरैन के विभिन्न नगरों में प्रदर्शन करके आले ख़लीफ़ा सरकार की समाप्ति पर बल दिया। प्रदर्शनकारियों ने इसी के साथ देश से विदेशी सैनिकों की वापसी और समस्त राजनैतिक बंदियों को स्वतंत्र कराने की भी मांग की। इन प्रदर्शनकारियों पर बहरैन तथा सऊदी अरब के सैनिकों ने आक्रमण किया। इस आक्रमण में कई प्रदर्शनकारी घायल हो गए। बहरैन के "बनी जमरा" क्षेत्र में सऊदी और बहरैनी सैनिकों ने क्रूरता का प्रदर्शन करते हुए लोगों के घरों तथा वाहनों को आग लगा दी। इसी बीच बहरैन के एक राजनैतिक कार्यकर्ता ने बहरैन की जनता पर होने वाले अत्याचारों में अरब संघ को भी सम्मिलित बताया। अब्दुल्लाह माख़ूज़ी ने कहा है कि अरब संघ ने बहरैन में सऊदी अरब और अन्य अरब देशों के सैनिकों का समर्थन करके आले ख़लीफ़ा सरकार के अपराधों में सम्मिलित होने का प्रमाण दिया है। उन्होंने कहा कि बहरैन संकट के संदर्भ में अरब संघ को स्पष्ट नीति अपनाई चाहिए और उसे अत्याचारी सरकार के बजाए जनता का समर्थन करना चाहिए। अब्दुल्लाह माख़ूज़ी ने बहरैन में फ़ार्स की खाड़ी के देशों के हस्तक्षेप और जनता के दमन की भर्त्सना में योरोपीय संसद के बयान की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह बयान इस बात का प्रमाण है कि बहरैन की क्रांति अपनी आवाज़ को विश्व वालों तक पहुंचाने में सफल रही है। (एरिब डाट आई आर के धन्यवाद के साथ)