अमेरिका की ट्रम्प सरकार द्वारा ईरानी तेल की ख़रीद पर छूट को समाप्त करने के फ़ैसले पर भारतीय मीडिया में लगातार तीखी प्रतिक्रियाओं का क्रम जारी है।
प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, भारतीय समाचार साइट 'फर्स्ट पोस्ट' ने लिखा है कि वॉशिंग्टन द्वारा तेहरान के ख़िलाफ़ उठाया गया क़दम बहुत जल्द ही अमेरिका के लिए उलटा साबित होगा। समाचार एजेंसी इर्ना के अनुसार फर्स्ट पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि, अमेरिका द्वारा इस्लामी गणतंत्र ईरान पर लगाए गए एकपक्षीय प्रतिंबंधों, विशेषकर तेल के निर्यात पर मई से किसी भी देश को कोई छूट न देना के फ़ैसले का परिणाम वॉशिंग्टन के लिए घातक साबित होगा। फर्स्ट पोर्ट ने लिखा है कि अमेरिका अपने इस फ़ैसले से न केवल ईरानी राष्ट्र के सामने चुनौतियां खड़ी कर रहा है बल्कि स्वयं अमेरिकी जनता एवं विश्व के उन देशों की जनता के लिए भी कठिनाई उत्पन्न कर रहा जो देश ईरान से तेल आयात करते हैं।
भारतीय समाचार साइट फर्स्ट पोस्ट ने अपने विश्लेषण लेख में लिखा है कि, जिस तरह व्हाइट हाउस में बैठे अमेरिकी अधिकारी सोच रहे हैं कि वे ईरान के तेल निर्यात को बड़ी सरलता से शून्य पर पहुंचा देंगे, उनके लिए अपने इस सपने को पूरा करना बहुत आसान नहीं है क्योंकि अब वह दौर नहीं रह गया है कि जब दुनिया भर के देश अमेरिका की हां में हां, आसानी से मिलाया करते थे। इसी तरह भारत के एक और प्रसिद्ध समाचार पत्र 'अमर उजाला' ने लिखा है कि अमेरिका द्वारा ईरान के विरुद्ध लिया गया एकपक्षीय निर्णय, एशिया के तीन देश, भारत, चीन और पाकिस्तान के लिए राष्ट्रीय स्तर पर संकट पैदा करने वाला फ़ैसला है।
उल्लेखनीय है कि अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने अमेरिका के ग़ैर क़ानूनी तरीक़े से जेसीपीओए से निकल जाने के एक वर्ष पूरा होने पर घोषणा की है कि, ट्रम्प सरकार ने ईरान के तेल ख़रीदारों को 2 मई 2019 से अमेरिका द्वारा प्रतिबंधों से दी गई छूट समाप्त करने का फ़ैसला किया है। इसी तरह अमेरिकी विदेश मंत्री ने एलान किया था कि 2 मई के बाद अगर किसी ने ईरान से तेल आयात जारी रखा तो वॉशिंग्टन उसके ख़िलाफ़ भी कार्यवाही करेगा। अमेरिका की इस घोषणा पर भारत, चीन, जापान, तुर्की और दक्षिण कोरिया ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
ज्ञात रहे कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने 8 मई 2018 को ईरान और विश्व की 6 बड़ी शक्तियों के साथ हुए परमाणु समझौते से ग़ैर क़ानूनी तरीक़े से निकलने का एलान किया था। ट्रम्प ने जेसीपीओए से निकलते समय कहा था कि वह ईरान के तेल निर्यात को शून्य तक पहुंचा देंगे, लेकिन बाद में उन्हें मजबूर होकर भारत, चीन, जापान, तुर्की, दक्षिण कोरिया, इटली, यूनान और ताइवान को प्रतिबंधों से 6 महीने की छूट देनी पड़ी थी। 4 नवंबर 2018 से अमेरिका, ईरान के तेल निर्यात पर प्रतिबंध लगाए हुए है लेकिन दुनिया के अधिकतर देशों ने उसके एकपक्षीय प्रतिबंधों को मानने से इंकार कर दिया और उसका साथ नहीं दिया जिसके कारण वह अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में नाकाम रहा है।