1 मई, मज़दूरों के दिन के तौर पर याद किया जाता है और इसे विश्व श्रमिक दिवस के रूप में पूरी दुनिया में मनाया जाता है।
इस्लामी गणतंत्र ईरान, भारत और पाकिस्तान सहित दुनिया भर में पहली मई को मज़दूर दिवस मनाया जा रहा है इस मौक़े पर मजदूरों के समर्थन में बड़े-बड़े सम्मेलन और कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं और रैलियां भी निकाली जा रही हैं। 1 मई को, मज़दूरों के वैश्विक दिवस के रूप में मनाया जाता है और हर साल यह दिन इस वादे के साथ मनाया जाता है कि मज़दूरों की आर्थिक स्थिति को बदलने के प्रयास तेज़ किए जाएंगे, लेकिन शायद आज भी दुनिया भर के मज़दूर अपने अच्छे दिन का इंतेज़ार कर रहे हैं।
ईरान की राजधानी तेहरान में विश्व श्रमिक दिवस के अवसर पर देश भर के श्रमिकों के एक समूह को राष्ट्रपति डॉक्टर हसन रूहानी ने संबोधित किया। राष्ट्रपति रूहानी इस मौक़े पर सबसे पहले देश और दुनिया के मज़दूरों को उनके दिन की मुबारकबाद पेश की और ईश्वर से मज़दूरों के अच्छे दिनों के लिए प्रार्थना भी की। एक रिपोर्ट के अनुसार ईरान में मज़दूरों की आर्थिक स्थिति में पिछले कई दशकों में काफ़ी सुधार हुआ है और इस्लामी क्रांति के बाद ईरान में मज़दूरों की आर्थिक स्थिति पर विशेष ध्यान दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि 1 मई को श्रम दिवस मनाने की शुरूआत, 1 मई 1886 को हुई थी जब अमेरिका की मज़दूर यूनियनों नें काम का समय 8 घंटे से ज़्यादा न रखे जाने और शोषण के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाते हुए हड़ताल की थी। हड़ताल को समाप्त कराने के लिए अमेरिकी पुलिस ने मज़दूरों पर अंधाधुंध गोली चला दी जिसके परिणामस्वरूप दर्जनों मज़दूर हताहत और घायल हुए थे। अमेरिकी मज़दूरो पर अत्याचार केवल यहां समाप्त नहीं हुआ था बल्कि उस समय की अमेरिकी सरकार ने हड़ताल पर गए कई मज़दूरों को फांसी पर भी लटका दिया था, लेकिन मज़दूर किसी भी तरह की दमनात्मक कार्यवाही के आगे नहीं झुके और अपने आंदोलन को जारी रखा जिसका सबूत है 1 मई को मनाया जाने वाला मज़दूर दिवस है।