पुस्तक का नामः पश्चाताप दया का आलंग्न
लेखकः आयतुल्ला अनसारीयान
आदम को ख़ुदा के ख़लीफ़ा औऱ ईश्वर के प्रतिनिधि के रूप मे बनाया गया था, शरीर की बनावट एंव संयम के पश्चात परमेश्वर की आत्मा प्रकट थी[1], महान नामो के प्राधिकारी बने, तथा स्वर्गदूतो ने उनकी महिमा और गरिमा के कारण ईश्वर आदेशानुसार आदम को सजदा[2] किया, उस समय अल्लाह के आदेश से आदम अपनी पत्नि के साथ स्वर्ग मे रहने लगे[3]। स्वर्ग की सभी प्रकार की नियामते का प्रयोग आदम और उनकी पत्नि (हव्वा) हेतु वैध घोषित हो गई, परन्तु वह दोनो (आदम और हव्वा) एक निर्धारित वृक्ष के समीप ना जाएं, क्योकि उस वृक्ष के समीप जाने से अत्याचारियो मे से हो जाएंगे[4]। शैतान के हजरत आदम को सजदा ना करने के कारण उसको ईश्वर के हाते से निकाल दिया गया था तथा ईश्वर के अभिशाप के प्रभाव उसको पीड़ीत कर रहे थे, उसका घमंड तथा अहंकार ईश्रवर की ओर वापसी की अनुमति नही दे रहा था, आदम और उनकी पत्नि के प्रति घृणा तथा शत्रुता के माध्यम से छुपि हुई आकृति को प्रकृट करने हेतु उनको प्रलोभन की स्थिति मे ले आया, ताकि उसकी (शैतान की) आज्ञाकारिता के कारण (आदम) अपने महिमा एवं गरिमा को खो बैठे, तथा स्वर्ग से निष्कासित कर दिया जाए, और ईश्वर की कृपा उनसे समाप्त हो जाए।
जारी
[1] काफ़ी, पेज 72
[2] मानव अपने शीर्ष को परमेश्वर के सामने धरती पर रख दे तो यह कार्य सजदा कहलाता है। (अनुवादक)
[3] सुरए बक़रा 2, छंद 30-35
[4] सुरए आराफ़ 7, छंद 19
وَيَا آدَمُ اسْكُنْ أَنتَ وَزَوْجُكَ الجَنَّةَ فَكُلاَ مِنْ حَيْثُ شِئْتُمَـا وَلاَ تَقْرَبَا هذِهِ الشَّجَرَةَ فَتَكُونَا مِنَ الْظَّالِمِينَ
(वा याआदमो उसकुन अन्ता वा ज़ौजोकल जन्नता फ़कोलामिन हैसो शैतोमा वला तक़रबा हाज़ेहिश्शजारता फ़तकूना मिनज़्ज़ालेमीना)