पुस्तक का नामः कुमैल की प्रार्थना का वर्णन
लेखकः आयतुल्लाह हुसैन अंसारीयान
ईश्वर की शक्ति की कोई सीमा नही है[1] और आकाश एंव पृथ्वी मे विभिन्न प्रकार के प्राणीयो का जन्म एंव उनके चमत्कार जो एक दूसरे से छिपे हुए है यह सब ईश्वर की शक्ति का एक छोटा सा नमूना है।
हज़ारो वर्षो के अन्वेषण के उपरांत एंव उन्नतिशील उपकरणो माध्यम से मानव इन चमत्कारो को जानने मे सफल हुआ है, संसार के कोने कोने मे जो चीज़ दिखाई दे रही है वह उसकी (ईश्वर की ) अनंत शक्ति का उदारहण है।
ईश्वर की शक्ति की सीमा के ना होने का कुरआन के विभिन्न छंदो मे इस प्रकार वर्णन हुआ है।
تَبَارَكَ الَّذِى بِيَدِهِ الْمُلْكُ وَ هُوَ عَلىَ كلُ ِّ شىَ ْءٍ قَدِير
“तबारकल्लज़ी बेयदेहिलमुलको वा होवा अला कुल्ले शैइन क़दीर”[2]
सदैव लाभदायक एंव बरकत वाला है, सभी चीज़ो का आदेश उसके हाथो मे है और वह प्रत्येक चीज़ पर कुदरत रखता है।
क़दीर क़ुदरत शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ होता है जिस चीज़ का इरादा करे उसको हिकमत के साथ अंजाम दे ना उसमे कोई कमी करे और ना अधिकता करे, इस वंश इस शब्द का प्रयोग केवल ईश्वर के लिए होता है किसी और के लिए नही होता[3]।
जारी