इलाही पैग़म्बरों ने दीन के नेहाल की सिंचाई की क्योंकि उन्हें इंसानी समाजों में भलाई फैलाने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी। उनका उद्देश्य समाज में तौहीद को फैलाना, अद्ल व न्याय की स्थापना और अंधविश्वास व जेहालत से लोगों को दूर कर कमाल (परिपूर्णतः) की ओर मार्गदर्शन करना था।
पैग़म्बरे इस्लाम स.अ. की वफ़ात
इलाही पैग़म्बरों ने दीन के नेहाल की सिंचाई की क्योंकि उन्हें इंसानी समाजों में भलाई फैलाने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी। उनका उद्देश्य समाज में तौहीद को फैलाना, अद्ल व न्याय की स्थापना और अंधविश्वास व जेहालत से लोगों को दूर कर कमाल (परिपूर्णतः) की ओर मार्गदर्शन करना था। इलाही पैग़म्बरों की ज़ंजीर की आख़री कड़ी पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम हैं। कृपा व मेहरबानी के प्रतीक पैग़म्बरे इस्लाम ने उस इमारत को पूरा किया जिसकी आधारशिला पहले वाले इलाही पैग़म्बरों ने रखी थी। उनकी दावत का आधार इलाही संदेश अर्थात वही थी। यही कारण है कि उनकी इस अमर दावत में कहीं कोई बुराई दिखाई नहीं देती। जिस तरह सूरज की किरण दुनिया में दिन का उजाला बिखेरती है वैसी ही भूमिका पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल लाहो अलैहि व आलेही व सल्लम ने भी लोगों के वैचारिक विकास तथा समाजों में तब्दीली लाने और उन्हें तरक़्क़ी देने में निभाई। वह लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने वाले ध्रुव की तरह थे। इसी तरह उनका वुजूद परिवर्तनों तथा लोगों को कमाल की ओर ले जाने वाला स्रोत था। इतिहास के अनुसार पैग़म्बरे इस्लाम पर इलाही संदेश का उतरना इंसान की अक़्ल के खिलने का कारण बना। पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल लाहो अलैहि व आलेही व सल्लम ने असभ्य राष्ट्र का प्रशिक्षण किया और उन्हें ऐसा बना दिया कि वह एक दूसरे के लिए जानें देने लगे और इस्लामी नियमों का प्रसार कर शिक्षा की एक आम लहर पैदा की यहां तक कि बहुत जल्दी ही मुसलमानों ने उस समय के सभी इल्म व तकनीक हासिल कर लीं।
पाक क़ुरआन में आख़री इलाही पैग़म्बर की विभिन्न विशेषताओं को बयान किया गया है और विभिन्न अवसरों पर उनके बारे में बताया गया है। इलाही संदेश में पैग़म्बरे इस्लाम के आज्ञापालन को अल्लाह के आज्ञापालन और उनकी अवज्ञा को अल्लाह की अवज्ञा की संज्ञा दी गयी है। अल्लाह तआला ने बहुत सी आयतों में पैग़म्बरे इस्लाम स.अ. के व्यक्तित्व व शिष्टाचार की प्रशंसा की है और सूरए अहज़ाब की आयत नं. 56 में उन पर दुरुद भेजने के साथ ही उनके सम्मान में कहता हैः
إِنَّ اللَّهَ وَ مَلائِكَتَهُ يُصَلُّونَ عَلَى النَّبِيِّ يا أَيُّهَا الَّذينَ آمَنُوا صَلُّوا عَلَيْهِ وَ سَلِّمُوا تَسْليماً
अल्लाह और उसके फ़रिश्ते पैग़म्बर पर दुरूद भेजते हैं। ऐ ईमान लाने वालो! उन पर दुरूद भेजो और सलाम करो और उनके हुक्म के सामने नत्मस्तक रहो।
क़ुरआन के अनुसार पैग़म्बरे इस्लाम अपनी क़ौम के हमेशा निरीक्षक व गवाह हैं और अपनी शिक्षाओं के माध्यम से लोगों को अच्छी ज़िंदगी की दावत देते हैं। इसलिए पैग़म्बरे इस्लाम अमर हैं। मोअज़्ज़िन की अज़ान में, नमाज़ियों की नमाज़ में और अत्याचार के विरुद्ध मुसलमानों के प्रतिरोध और पीड़ितों की न्याय प्राप्ति की इच्छा में, पैग़म्बरे इस्लाम ज़िंदा हैं क्योंकि उनके द्वारा लाया गया इलाही संदेश व दीन ज़िंदा है।
जिस समय पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल लाहो अलैहि व आलेही व सल्लम ने इस दुनिया से हमेशा के लिए अपनी आंखे बंद की, उस समय हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने दर्द भरे मन से उन्हें संबोधित करते हुए कहाः मेरे माँ-बाप आप पर न्योछावर हों। आपकी मौत से वह कड़ी टूट गयी जो दूसरों के मरने से नहीं टूटी थी और वह कड़ी, इलाही संदेश व वही का उतरना एवं इलाही हिदायत व मार्गदर्शन है। आपकी मौत की त्रासदी सबके लिए है और आम लोग आपके स्वर्गवास पर शोकाकुल हैं। अगर आपने सब्र व संयम का हुक्म न दिया होता और व्याकुलता से न रोका होता तो इतना रोता कि हमारे आंसुओं का सोता ख़त्म हो जाता। यह दिल दहला देने वाला दुख, हमेशा मेरे मन में बाक़ी रहेगी और मेरा दुख हमेशा बाक़ी रहेगा। मेरे माँ-बाप आप पर न्योछावर हों ऐ इलाही पैग़म्बर! मुझे अपने अल्लाह के नज़दीक याद कीजिएगा और भूलियेगा नहीं।
पैग़म्बरे इस्लाम इंसानी इतिहास की महानतम हस्ती हैं। इंसानियत की भलाई व सौभाग्य की ओर मार्गदर्शन करना इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी था जिसे अल्लाह ने उनके कंधे पर डाला और उन्होंने ने भी इस ज़िम्मेदारी को अच्छी तरह निभाया। पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल लाहो अलैहि वे आलेही व सल्लम ने अपनी सार्थक शिक्षा से दुनिया को रौशन किया और जेहालत के अधंकार से मुक्ति दिलायी। इस बात में शक नहीं कि उल्मा व विचारक और पढ़े लिखे लोग दूसरों की तुलना में इंसानियत के मार्गदर्शन में इस महान हस्ती के योगदान को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं। मौजूदा समय में ब्रिटेन के मशहूर विद्वान मार्टिन लिंग्ज़, जो अब मुसलमान हो चुके हैं, पैग़म्बरे इस्लाम द्वारा लाए गए इलाही दीन के प्रसार के दो कारण बताते हुए कहते हैः पहला कारण क़ुरआनी आयते हैं जिसमें मार्गदर्शन की क्षमता है और दूसरा कारण स्वयं पैग़म्बरे इस्लाम का व्यक्तित्व है। पैग़म्बरे इस्लाम ऐसे इंसान थे कि सब यह बात अच्छी तरह जानते थे कि वह इतने सच्चे हैं कि किसी को धोखा दें। और इतने अक़्लमंद हैं कि आत्ममुग्ध नहीं हो सकते। वह एक अमर व्यक्तित्व है जिसका इलाही संदेश से संबंध था और उनका संदेश मार्गदर्शन पर आधारित है।
डाक्टर लिंग्ज़ का मानना है कि पैग़म्बरे इस्लाम ने सबसे बड़ा उपहार इंसानियत को यह दिया कि उसके सामने स्पष्ट भविष्य को पेश किया और यह वचन दिया कि अपनी क़ौम को उनके हाल पर नहीं छोड़ेंगे। वह लिखते हैः "पैग़म्बरे इस्लाम ने यह भविष्यवाणी की कि आख़री दिनों में दुनिया में छायी हुयी बुराइयों के बावजूद एक इलाही उत्तराधिकारी उठ खड़ा होगा जिसे लोग महदी अर्थात मार्गदर्शन करने वाले के नाम से याद करेंगे और कहा कि महदी मेरे वंश से होंगे और ज़मीन को न्याय व सत्य से भर देंगे।"
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