लेबनान के हिज़्बुल्लाह संगठन के महासचिव ने कहा है कि अमरीका का लक्ष्य हमारे क्षेत्र पर राजनैतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक व सुरक्षा क्षेत्रों में व्यापक क़ब्ज़ा करना है।
सैयद हसन नसरुल्लाह ने शुक्रवार की रात इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की शहादत की पूर्व रात्रि पर दक्षिणी बैरूत के ज़ाहिया क्षेत्र में आयोजित एक शोक समारोह में अमरीका, हर उस पक्ष से शत्रुता करता है जो ज़ायोनी शासन का विरोधी है और उसके विरुद्ध हर प्रकार का राजनैतिक, मीडिया व आर्थिक युद्ध आरंभ कर देता है। उन्होंने कहा कि अमरीका तेल व गैस सहित क्षेत्र के अरब व इस्लामी देशों के स्रोतों व हितों पर नियंत्रण रखना चाहता है और अरब सरकारों में अमरीका के इस वर्चस्ववाद का मुक़ाबला करने की क्षमता नहीं है। हिज़्बुल्लाह के महासचिव ने कहा कि अगर अमरीका, ईरान, रूस, इराक़ व वेनेज़ुएला को आर्थिक क्षति पहुंचाना चाहे तो सऊदी अरब व क़तर जैसी अरब सरकारें अपने देश को क्षति पहुंचने का विश्वास होने के बावजूद तेल का मूल्य कम करने के लिए उसकी सहायता करती हैं।
सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि जो लोग अमरीका में शासन कर रहे हैं वे मानवाधिकार की संस्थाएं और आम लोग नहीं हैं बल्कि अमरीका में वास्तविक शासन तेल व हथियार बनाने की बड़ी कंपनियों का है। उन्होंने बल देकर कहा कि इस्राईल, हमारे क्षेत्र में पश्चिम की वर्चस्ववादी योजनाओं को लागू करने का माध्यम है और इसी लिए उसका व्यापक समर्थन किया जाता है। उन्होंने कहा कि अमरीका क्षेत्र के तानाशाहों और सबसे भ्रष्ट सरकारों का समर्थन करता है कि जो मानवाधिकारों का हनन करती हैं, जिनके यहां न कोई संविधान है न वहां कोई चुनाव आयोजित होता है और न ही वहां की जनता को अपने विचार व्यक्ति करने के लिए इंटरनेट के प्रयोग का अधिकार है। लेबनान के हिज़्बुल्लाह संगठन के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि अमरीका, प्रजातंत्र, चुनाव और मानवाधिकार के बारे में जो कुछ कहता है वह जनता को धोखा देने के लिए झूठी और खोखली बातें हैं।
उन्होंने ईरान के शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम के बारे में अमरीका के बड़े झूठ की ओर संकेत करते हुए कहा कि अमरीका ने दावा किया कि ईरान परमाणु हथियार बनाना चाहता है और गुप्त रूप से परमाणु कार्यक्रम चला रहा है और इसी बहाने से उसने ईरान पर प्रतिबंध लगाए और खेद की बात है कि कुछ अरब देशों ने अमरीका से भी बढ़ कर ईरान के विरुद्ध काम किया किंतु ईरान ने घुटने नहीं टेके और अपना परमाणु कार्यक्रम जारी रखा, यहां तक कि अमरीका उससे समझौता करने पर विवश हो गया। हिज़्बुल्लाह के महासचिव ने कहा कि ईरान के बारे में मूल कहानी यह थी कि वह एक स्वतंत्र व स्वाधीन देश रहना, अपने स्रोतों पर अपना नियंत्रण रखना और अपने राष्ट्र के गौरव व सम्मान की रक्षा करना चाहता है कि जो अमरीकियों की दृष्टि में वर्जित है। उन्होंने इस बात पर बल देते हुए कि इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने हमें यह कहना सिखाया है कि ईश्वर की राह में मौत कल्याण और अत्याचारियों के साथ जीवन, अपमान के अतिरिक्त कुछ नहीं है, कहा कि इस्राईल के साथ टकराव में जब हमें युद्ध या अपमान जैसे दो विकल्पों का सामना हुआ तो हमने सदैव वही कहा जो इमाम हुसैन ने कर्बला में कहा था अर्थात अपमान हमसे सदैव दूर है। सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि हम आशूरा के दिन इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के साथ मैदान में उतरेंगे और विस्फोटकों से भरी गाड़ियां, आत्मघाती हमलावर, बारिश या कोई भी दूसरी चीज़ इसमें बाधा नहीं बन सकती और हम नारा लगाएंगे “लब्बैक या हुसैन”।
source : abna24