सऊदी अरब के वरिष्ठ शीया धर्मगुरु शैख़ निम्र बाक़िर अन्निम्र को इस देश की अदालत की ओर से मृत्युदंड के अन्यायपूर्ण फ़ैसले को निरस्त करने की मांग को लेकर इस देश की जनता सड़कों पर निकली।
यह प्रदर्शन गुरुवार को सऊदी अरब के पूर्वी प्रांत क़तीफ़ के अवामिया क़स्बे में आयोजित हुआ जहां जनता ने सड़कों पर निकल कर शैख़ निम्र को मृत्युदंड के अन्यायपूर्ण फ़ैसले का विरोध किया।
क़तीफ़ की जनता ने उस वक़्त तक अपना अभियान जारी रखने पर बल दिया है जब तक शैख़ निम्र के ख़िलाफ़ यह अन्यायपूर्ण फ़ैसला निरस्त नहीं हो जाता।
25 अक्तूबर को सऊदी अरब के सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले साल शैख़ निम्र को सुनाए गए मृत्युदंड के फ़ैसले को बाक़ी रखा। इस फ़ैसले को लागू करने से संबंधित अनुज्ञा पत्र सऊदी शासक सलमान बिन अब्दुल अज़ीज़ को भेजा जाएगा ताकि वह इस फ़ैसले की पुष्टि करें और फिर उसे लागू किया जाए।
अगर सऊदी शासक ने इस अनुज्ञा पत्र पर दस्तख़त कर दिए तो सऊदी गृह मंत्रालय बिना पूर्व सूचना के शैख़ निम्र को मृत्युदंड दे सकता है।
शैख़ निम्र पर जुलाई 2012 में क़तीफ़ में हमला हुआ था जिसके बाद उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया था। उन पर सऊदी अरब की सुरक्षा को ख़तरे में डालने, शासन विरोधी भाषण देने और राजनैतिक कार्यकर्ताओं का समर्थन करने का इल्ज़ाम है जिसे उन्होंने रद्द किया है।
सोमवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयुक्त ज़ैद रअद ज़ैद अलहुसैन के नाम ख़त में इस्लामी मानवाधिकार आयोग ने रियाज़ पर दबाव डालले की मांग की है ताकि वह शैख़ निम्र को मृत्युदंड के फ़ैसले को निरस्त करके उन्हें फ़ौरन रिहा करे।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने भी सऊदी अरब से शैख़ निम्र के मृत्युदंड के फ़ैसले को निरस्त करने की मांग की है।
बुधवार को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्यालय में बान की मून के प्रवक्ता स्टीफ़न डुजैरिक ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने फ़ोन पर सऊदी शासक सलमान से शीया धर्मगुरु के ख़िलाफ़ मृत्युदंड के फ़ैसले को निरस्त करने की मांग की है।
ज्ञात रहे सऊदी अरब के तेल से माला-माल पूर्वी क्षेत्र के निवासियों के साथ भेदभाव को ख़त्म करने, राजनैतिक बंदियों की रिहाई, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सुधार की मांग को लेकर फ़रवरी 2011 में पूर्वी क्षेत्र में प्रदर्शन फूट पड़ा था। इन प्रदर्शनों के दौरान सऊदी सुरक्षा बलों की फ़ायरिंग में अनेक लोग शहीद और बहुत से घायल हुए तथा बहुत से लोगों को गिरफ़्तार किया गया।
एम्नेस्टी इंटरनेश्नल सहित अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाएं सऊदी अरब के ख़राब मानवाधिकार रेकार्ड के कारण आलोचना करती रही हैं।
(MAQ/N)
source : irib