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आले ख़लीफ़ा शासन ने लगाया बहरैन में जमाअत से नमाज़ पढ़ने पर प्रतिबंध।

बहरैन में आले ख़लीफ़ा शासन द्वारा विरोधियों का दमन इतना तेज़ हो गया है कि इस देश में जमाअत या सामूहिक रूप से नमाज़ का आयोजन रुक गया है। मिरअतुल बहरैन वेबसाइट के अनुसार, बहरैन के धर्मगुरुओं ने एक बयान में कहा कि आले ख़लीफ़ा शासन, धार्मिक कर्तव्यों को अंजाम देने के संबंध में भी पाबंदियां लगाने की
आले ख़लीफ़ा शासन ने लगाया बहरैन में जमाअत से नमाज़ पढ़ने पर प्रतिबंध।

बहरैन में आले ख़लीफ़ा शासन द्वारा विरोधियों का दमन इतना तेज़ हो गया है कि इस देश में जमाअत या सामूहिक रूप से नमाज़ का आयोजन रुक गया है।
मिरअतुल बहरैन वेबसाइट के अनुसार, बहरैन के धर्मगुरुओं ने एक बयान में कहा कि आले ख़लीफ़ा शासन, धार्मिक कर्तव्यों को अंजाम देने के संबंध में भी पाबंदियां लगाने की कोशिश कर रहा है।
बहरैनी धर्मगुरुओं के बयान में आया है, “बहरैन में शिया बहुत ही अप्रिय स्थिति में हैं। इन दिनों शासन के योजनाबद्ध अत्याचार अपने चरम पर पहुंच गए हैं। इस प्रकार से कि शिया मुसलमान जुमे की नमाज़ और जमाअत की नमाज़ जैसे सबसे बड़े इस्लामी कर्त्वयों को अंजाम देने के संबंध में असुरक्षा का आभास कर रहे हैं। बहरैनी शासन ने जुमे और जमाअत के इमाम, और मस्जिद में भाषण देने वालों को निरंतर तलब करने और कुछ को जेल में डालने से लेकर जुमे की नमाज़ के आयोजन पर रोक लगा दी है। इसी प्रकार शासन इस धार्मिक कर्तव्य को, धर्मशास्त्र के अनुसार अंजाम देने के संबंध में ग़ैर क़ानूनी रुकावटों के ज़रिए दबाव डाल रहा है।
‘नमाज़ से वंचित’ शीर्षक के अन्तर्गत जारी किये गए बयान में कहा गया है कि हम समझ नहीं पा रहे हैं कि अपनी जमाअत व जुमे की नमाज़, शिया धर्मशास्त्र के अनुसार अंजाम दें या शासन की राजनैतिक इच्छा के अनुसार। शासन का यह निर्देश, 16 जून 2016 बराबर गुरुवार 10 रमज़ानुल मुबारक से हर हफ़्ते अगले निर्देश के आने तक लागू रहेगा”।


source : abna24
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