(सभी मुसलमानों पर ज़रूरी है कि वह इस लेख को ज़्यादा से ज़्यादा आम करें ताकि मुसलमानों को इस्लाम के लबादे में छिपे आस्तीन के सांप आले सऊद की इस्लाम दुश्मनी का पता चल जाए और इस तरह अनभिज्ञता और सादगी में उनका समर्थन करके उनके पापों और अपराधों में शरीक होने से बच जाए।)
(नोट: जो सऊदी अरब के शाही परिवार को मुसलमानों का ठेकेदार समझते हैं वह यह लेख अवश्य पढ़ें।)
1. ब्रिटेन ने मुसलमानों को अंदर से नुकसान पहुंचाने की खातिर नज्द से सम्बंध रखने वाले एक नीम मुल्ला मुहम्मद बिन अब्दुल वह्हाब को अपना एजेंट बना लिया और उसे दीमक की भूमिका निभाते हुए अंदर से मुसलमानों की जड़ें काटने का काम सौंप दिया। जिसके बाद ब्रिटेन की भरपूर मदद और आशिर्वाद से उसने एक नए मज़हब ''वहाबियत'' की नींव डाली जिसके अंतर्गत उसने रसूले इस्लाम स.अ. और सहाबा के दौर से प्रचलित मुसलमानों के विश्वासों के विपरीत कुछ कट्टरपंथी और बेतुके विचारों का प्रचार करना शुरू किया और फिर अपने जाहिलाना विचारों और सोच का विरोधी बताकर अहले सुन्नत और शिया सहित सभी मुसलमानों पर शिर्क, कुफ़्र और बिदअतों (नवाचार) के आरोप लगाना शुरू कर दिए। (गौरतलब है कि ब्रिटेन ने ही इसी इस्लाम दुश्मन परियोजना को आगे बढ़ाते हुए उपमहाद्वीप में मिर्जा गुलाम अहमद कादियानी के माध्यम से कादियानी धर्म की नींव डाली थी।)
2. ब्रिटेन ने मुहम्मद बिन सऊद (मौजूदा शाही परिवार के पूर्वज) और अपने एजेंट मुहम्मद बिन अब्दुल वह्हाब के बीच एक स्ट्रॉटेजिक समझौता किया कि वह दोनों उनके एजेंट के रूप में हमेशा काम करेंगे जिसके नतीजे में हेजाज़ पर हुकूमत आले सऊद करेंगे जबकि सरकारी मुफ्ती और काजी का पद मुहम्मद बिन अब्दुल वह्हाब की सन्तान और उन जैसी विचारधारा रखने वाले मुल्लाओं के पास रहेगा। आले सऊद मोहम्मद बिन वह्हाब के बेटों और परिवार को भरपूर आर्थिक सहायता प्रदान करेंगे जिसके जवाब में वह धार्मिक भेष में हमेशा सऊद सरकार के पक्ष में फतवे देकर उसे इस्लामी बनाकर पेश करते रहेंगे।
3. ब्रिटेन ने फिर हेजाज़ के कुछ क्षेत्रों पर हुकूमत कर रहे मुहम्मद बिन सऊद को अपना दलाल बनाया और अरब के कुछ अज्ञानी, जाहिल व असभ्य खानाबदोशों पर आधारित लश्कर तैयार करके उन दोनों (मुहम्मद बिन सऊद और मुहम्मद बिन अब्दुल वह्हाब) के अधिकार में दे दिया जिसके बाद उन्होंने हेजाज़ (वर्तमान सऊदी अरब) के कई क्षेत्रों पर हमले करना शुरू कर दिए और अनगिनत मुसलमानों को शहीद करके तलवार के बूते पर अपनी हुकूमत को विस्तार देना शुरू किया और फिर मक्का (जिसे अल्लाह ने शांति स्थल बताया है) और मदीना मुनव्वरा पर भी हमला करके बहुत सारे मुसलमानों को शहीद कर दिया और पवित्र स्थलों का अपमान किया और फिर जबरन सत्ता पर कब्जा कर लिया और बाद में हेजाज़ का नाम भी बदल कर उसे अपना पारिवारिक नाम देते हुए सऊदी अरब रख लिया। गौरतलब है कि जब आले सऊद ने मक्के पर हमला किया तो इसमें काबे का भी अपमान करते हुए उन्होंने उसके कवर को भी फाड़ दिया। और मदीने में मौजूद रसूले इस्लाम स.अ. के सहाबा के मज़ारों पर मौजूद खज़ाना उन्होंने लूट लिया और उसे अपनी पारिवारिक धन में शामिल कर लिया!
4. ब्रिटेन ने जब 1923 में कई सदियों से चल रही मुसलमानों की उस्मानी खिलाफत के खिलाफ षडयंत्र शुरू किया तो सबसे बढ़चढ़ कर सऊदी शाही परिवार ऑले सऊद (जो समझौते के अनुसार ब्रिटेन के एजेंट थे) ने उसका साथ दिया और इस प्रकार मुसलमानों के साथ विश्वासघात करते हुए उस्मानी खिलाफत को ख़त्म करा दिया।
5. हारोल्ड डैक्सोन (बहरैन में ब्रिटेन के उस समय के राजदूत) के अनुसार सऊदी अरब के राजा अब्दुल अजीज बिन सऊद (वर्तमान राजा के पिता) ने ब्रिटेन के प्रतिनिधि ''मिस्टर पर्सी कॉक्स'' के सामने हुकूमत पर क़ब्जा जमाने के लिये अत्यंत अपमानजनक शैली में चापलूसी करते हुए कहा: ''आप मेरे पिता हैं, आपने मेरा पालन पोषण किया है यह संभव ही नहीं है कि मैं आपके परोपकार को भूल जाऊँ आप जो आदेश देंगे वही अंजाम दूंगा, अगर आप आदेश दें तो सत्ता भी छोड़ दूंगा। ''
6. आले सऊद ने 1924 में मदीने में सदियों पहले बनाए गए सहाबा, रसूले इस्लाम स.अ. की बीवियों और अहलेबैत अ. के पाक रौज़ो (मुहम्मद बिन अब्दुल वह्हाब के जाहिलाना फतवे के आधार पर) को शिर्क और बिदअत बताते हुए शहीद कर दिया और सहाबा और अहलेबैत के साथ भरपूर दुश्मनी का प्रदर्शन किया और उनमें मौजूद कुरआन और पवित्र किताबों का अपमान किया। और रसूले इस्लाम स.अ. और सहाबा के समय की लगभग सभी धार्मिक निशानियों को भी नष्ट कर दिया (और अब एक बार फिर यह आले सऊद रसूले इस्लाम स.अ. के रौजे के गुंबद को बिदअत बता कर गिराने की नापाक योजना रखते हैं।)
7. आले सऊद ने 1920 के दशक में सऊदी अरब में अपनी सरकार स्थापित करने के लिए मक्का, मदीना सहित हिजाज़ के अन्य शहरों पर हमला करके मुसलमानों के खून से होली खेली और शांति व अम्न के नाम से जाने वाले पवित्र शहर मक्का का अपमान किया। (आश्चर्य की बात यह है कि हेजाज़ की हुकूमतों के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह के परिणाम स्वरूप सत्ता में आने वाले यह आले सऊद आज यमनी जनता को विद्रोही कह कर उन्हें शहीद कर रहे हैं)
8. आले सऊद ने ब्रिटिश एजेंट मुहम्मद बिन अब्दुल वह्हाब के अज्ञानी व जाहिल अनुयायियों के साथ मिल कर कर्बला पर खूनी हमला किया और दस हजार निर्दोष मुसलमानों को ब्रिटिश द्वारा बनाए गए नकली धर्म "वहाबियत" को स्वीकार न करने के अपराध में शहीद कर दिया और पूरी तरह से इस्लाम दुश्मनी का प्रदर्शन करते हुए रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे व आलिही वसल्लम के नवासे हज़रत इमाम हुसैन अ. और हजरत अब्बास अ. के पवित्र रौज़ों को न केवल गिरा दिया बल्कि जलाकर पूरी तरह से राख कर दिया।
9. आले सऊद सरकार ने मुहम्मद बिन अब्दुल वह्हाब के अनुयायियों के साथ मिलकर मुसलमानों के एक बड़े समुदाय "अहले सुन्नत वल जमाअत या सुन्नी" के नाम को हाईजैक कर लिया और ब्रिटिश डिक्टेशन से बनाए गए नकली वहाबी धर्म को सुन्नी बताना शुरू कर दिया, हालांकि यह नक़ली सुन्नी (वहाबी) और उनके अनुयायी सभी असली सुन्नियों को मुशरिक और विधर्मी बताते हैं।
10. यमन के सूफी मुसलमानों पर आक्रमण करते हुए हज़ारों निर्दोष बच्चों, महिलाओं और आम मुसलमानों को बेरहमी से शहीद करने वाले तानाशाह आले सऊद ने आज तक इस्राईल के खिलाफ न केवल कभी कोई कार्रवाई नहीं की बल्कि अपने स्वामी अमेरिका और ब्रिटेन को खुश करने की खातिर हमेशा पीड़ित फिलिस्तीनियों को असहाय छोड़ दिया।
11. सऊदी शासक हमेशा अमेरिका के जबरदस्त सहयोगी और सबसे बड़े घटक बने रहे और शाह अब्दुल्लाह ने अमेरिका से निकटता बढ़ाने के लिए राष्ट्रपति बुश के अंतिम दौर में मुसलमानों के बैतुलमाल (राजकोष) से 200 अरब डॉलर की भारी राशि हजारों मुसलमानों के हत्यारे बुश सरकार की झोली में डाल दी।
12. अमेरिका अपनी अर्थव्यवस्था को बनाए रखने के लिए हथियारों का कारोबार करता है और दुनिया में उसके हथियारों के व्यापार को रौनक देने वाला सबसे बड़ा ख़रीदार सऊदी अरब है।
13. विकिलीक्स की रिपोर्ट के अनुसार सऊदी शाही परिवार ने (सऊदी जनता के पैसों को अपने पिता की संपत्ति समझते हुए) शाह अब्दुल अजीज बिन सऊद की सभी संतानों को बिना किसी सेवा या मेहनत के मुफ्त में मासिक दो लाख सत्तर हजार डॉलर (यानी 1 करोड़ सत्तर लाख रुपये) की स्कॉलरशिप निर्धारित की हुई है, जबकि उसके पोते और पोतियों को बैतुलमाल से 27 हजार डॉलर (17 लाख रुपये) मासिक स्कालरशिप निर्धारित की हुई है (जो उनके जन्म के साथ ही उनके खाते में स्थानांतरित होना शुरू हो जाती है), माहवारी छात्रवृत्ति के अलावा वार्षिक 2 अरब डॉलर भी शाही परिवार के लिए निर्धारित गए हैं, उन मुफ्त के पैसों को यह सऊदी राजकुमार अधिकतर यूरोप और अमेरिका के नाइट क्लबों में शराब और कबाब और ख़ूबसूरत औरतों पर लुटाते हैं, इसीलिए वहाँ के अनैतिक नाइटक्लबों की आय का एक बड़ा हिस्सा अरब राजकुमारों के माध्यम से हासिल होता है।
विकीलीक्स ही की एक रिपोर्ट के अनुसार सऊदी शाही परिवार सऊदी अरब के 80 लाख से दस लाख बैरल तेल की कीमत भी सऊदी शाही परिवार के छह प्रभावशाली लोगों से विशेष है जिसके अनुसार दैनिक 12 करोड़ डॉलर शाही खाते में जमा हो जाते हैं।
(सऊदी शाही परिवार की ओर से सऊदी तेल और बैतुलमाल से की जाने वाली लूटमार और भ्रष्टाचार की दास्तानें इतनी भयानक हैं जिनके मुक़ाबले में दूसरे देशों के शासकों के लूटमार और भ्रष्टाचार आटे में नमक के बराबर है, लेकिन फिर भी कुछ भोले भाले मुसलमान भ्रष्टाचार के बेताज बादशाह आले सऊद के सम्मान को वाजिब समझते हैं!!)
सऊदी अरब के बैतुलमाल (राष्ट्रीय खजाने) से मासिक अरबों डॉलर मुफ्त में हथियाने वाले इस भ्रष्ट शाही परिवार के अपने ही देश में अनगिनत मोहताज, गरीब और फकीर लोग हैं जो बेरोजगारी के कारण कठिन जीवन जीने पर मजबूर हैं। इसके अलावा पाकिस्तानियों सहित विदेशी मजदूरों को अत्यधिक मेहनत और परिश्रम के बाद भी (अत्यंत अपमानजनक व्यवहार और दुर्व्यवहार के बाद) मामूली से मजदूरी दी जाती है। इससे बढ़ कर अत्याचार यह कि वह हमेशा उन्हें अपने देश से निकालने की धमकी देते हुए समय-समय पर उनके देशों की सरकारों को अपनी अवैध मांगों के समर्थन पर ब्लैकमेल करते रहते हैं जैसे आजकल यमन के मामले में पाकिस्तान सहित दूसरे देशों को ब्लैक मेल करने की कोशिश कर रहे हैं।
14. मुसलमानों को अलकायदा, तालिबान, आईएस, नुस्रा, लश्करे झंगवी और अन्य आतंकवादी संगठनों का उपहार देने वाले यही आले सऊद हैं। इन सभी आतंकवादी संगठनों का वैचारिक और सैद्धांतिक आधार मुहम्मद बिन अब्दुल वह्हाब के माध्यम से ब्रिटिश द्वारा ईजाद आले सऊद का आधिकारिक धर्म, वहाबियत है।
15. आले सऊद हमेशा फूट डलवाने वाले जाहिल व अज्ञानी चरमपंथी मुल्लाओं, फ़तवा बेचने वाले मुफ़्तियों को मदरसों को चलाने के लिए धन देते हैं तो यह रियाल के भिखारी बिकाऊ मुल्ला हमेशा उनकी कठपुतली बनकर मुसलमानों के खिलाफ़ कभी शिर्क, कभी बिदअत और कभी कुफ़्र के फतवे दे देकर इस्लामी एकता को साम्प्रदायिक हिंसा में बदलते रहते हैं। (गौरतलब है कि आले सऊद और ब्रिटिश वहाबी धर्म के मुल्लाओं के अनुसार न केवल शिया काफ़िर हैं बल्कि बहुत सारे अहले सुन्नत भी मुशरिक और बिदअती हैं!)
16. आज यमन में लोकतंत्र के संरक्षण के नाम पर हमला करने वाले आले सऊद खुद अपने देश में लोकतंत्र क्यों लागू नहीं करते ?? और नब्बे सालों से सऊदी जनता का गला घोंट कर केवल अपने परिवार को क्यों थोप कर रखा है?!
17. यमन में नकली लोकतांत्रिक सरकार के समर्थन की घोषणा के नाम पर यमनी जनता पर अत्याचार के पहाड़ तोड़ने वाले आले सऊद ने फिलिस्तीन में चुनाव के माध्यम से 85 प्रतिशत वोट लेकर सफल होने वाले हमास की निर्वाचित लोकतांत्रिक सरकार का भरपूर विरोध करते हुए इस्राईल और अमेरिकी कठपुतली महमूद अब्बास का समर्थन किया था। इसके अलावा मक्कार आले सऊद ने मिस्र के निर्वाचित लोकतांत्रिक राष्ट्रपति मुर्सी की सरकार के खिलाफ विद्रोह करने वाले आर्मी तानाशाह जनरल सीसी का न केवल पहले समर्थन किया बल्कि 10 अरब डॉलर की भारी रकम भी दान में दे दी, जिसने सऊदी सरकार के साथ मिलकर राष्ट्रपति मुर्सी के पांच हजार समर्थकों की हत्या करा दी।
18- 2009 में अमेरिका ने यमन में ड्रोन हमले सऊदी अरब से किए।
19- 2010 में ईरान पर हमले के लिए सऊदी शाही परिवार ने इस्राईल को हवाई रास्ता देने की पेशकश की।
आले सऊद के काले करतूत इतने अधिक हैं कि अगर लिखा जाए तो कई किताब बन जाएं, लेकिन समझने वालों के लिए इतना ही जान लेना काफी है।
इन सभी इस्लाम दुश्मन नीतियों, मक्कारियों और मुसलमानों पर अत्याचार की घटनाओं के बाद किसी को संदेह नहीं होना चाहिए कि सऊदी अरब के आले सऊद शासक कपटी, इस्लाम और मुसलमानों के दुश्मन और अमेरिका और ब्रिटेन के एजेंट हैं। इसीलिए अब सबको कहना होगा कि ''आले सऊद आले यहूद हैं''।
source : abna24