हरैन के आले ख़लीफ़ा शासन ने अपने देश में धर्मगुरूओं की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया है।
बहरैन के शासक हमद बिन ईसा आले ख़लीफ़ा ने एक फरमान जारी करके बहरैन में धर्मगुरूओं की गतिविधियों पर पाबंदी लगाते हुए अपने देश के तमाम राजनीतिक दलों के लिए नए नियम निर्धारित किए हैं।
बहरैन के आले ख़लीफ़ा शासक ने एक आदेश जारी करके इस देश के सभी राजनैतिक दलों को निर्देश दिया है कि वे अपनी पार्टियों की गतिविधियों से धर्मगुरूओं और धार्मिक केंद्रों को दूर रखें।
बहरैन के शासक के ताज़ा फ़रमान के अंतर्गत बहरैनी धर्मगुरू अब मिम्बरों से अपने भाषणों के दौरान राजनीतिक मुद्दों पर बातें नहीं कर सकेंगे और धार्मिक केन्द्रों के अधिकारियों को भी राजनीतिक दलों से संपर्क रखने की अनुमति नहीं होगी।
उल्लेखनीय है कि बहरैन के शासक द्वारा इस ताज़ा फरमान के बाद आले ख़लीफ़ा शासन के सुरक्षा बलों ने जुमें की नमाज़ के बीच दिए जाने वाले भाषणों और उपदेशों में राजनीतिक मुद्दों को उठाने के आरोप में अब तक बहुत से धर्मगुरूओं को गिरफ़्तार कर लिया है।
ज्ञात रहे कि बहरैन में फ़रवरी 2011 से वहां की जनता के शांतिपूर्ण आंदोलन जारी है। बहरैनी जनता इस देश में राजनैतिक सुधार और लोकतंत्र की स्थापना चाहती है किन्तु आले ख़लीफ़ा शासन, गिरफ़्तारी, दमनात्मक कार्यवाहियों, यहां तक कि नागरिकों की नागरिकता निरस्त करके इस देश की जनता को भयभीत कर रहा है।
source : abna24