बहरैन के आले ख़लीफ़ा शासन द्वारा आयतुल्लाह शेख़ ईसा क़ासिम की नागरिकता रद्द किए जाने के ख़िलाफ़ बुधवार को नई दिल्ली स्थित बहरैनी दूतावास के बाहर विशाल प्रदर्शन हुआ।
भारत की राजधानी नई दिल्ली में स्थित बहरैनी दूतावास के बाहर मजिलेसे ओलमाए हिन्द और नेशनल कौन्सिल ऑफ शिया ओलेमा की ओर से आयोजित प्रदर्शन में सैकड़ों की संख्या में इकट्ठा होकर प्रदर्शनकारियों ने बहरैन सरकार के विरुद्ध नारे लगाए।
नई दिल्ली स्थित बहरैनी दूतावास के बाहर प्रदर्शन में शामिल मजलिसे ओलमाए हिन्द के ज़िम्मेदारों ने अपने एक बयान में बहरैनी शासन द्वारा आयतुल्लाह शेख़ ईसा क़ासिम की नागरिकता रद्द किए जाने की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए बहरैन सरकार से मांग की है कि वे अपने अत्याचारपूर्ण फ़ैसले पर पुनर्विचार कर तुरंत आयतुल्लाह शेख़ ईसा क़ासिम की नागरिकता रद्द किए जाने के फ़ैसले को वापस ले।
मजलिसे ओलमाए हिन्द की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि बहरैन सरकार का यह फ़ैसला संयुक्त राष्ट्र संघ के क़ानूनों का खुला उल्लंघन है, बहरैन सरकार की इस प्रकार की कार्यवाहियां, मानवाधिकरों का भी खुला उल्लंघन हैं।
मजलिसे ओलमाए हिन्द के वरिष्ठ सदस्य मौलाना मोहसिन तक़वी ने बहरैनी शासन के अन्यायपूर्ण फ़ैसले की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि बहरैन सरकार बहरैन के शिया मुसलमानों और शिया धर्मगुरुओं को अपने अत्याचारों का लगातार शिकार बना रही है। उन्होंने कहा कि बहरैनी शासक ने अपनी भेदभावपूर्ण राजनीति के माध्यम से शिया मुसलमानों की ज़िन्दगी मुश्किल कर दी है।
मौलाना तक़वी ने कहा कि रमज़ान के पवित्र महीने में मुसलमानों के एक विशेष वर्ग को जानबूझकर परेशान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि क्या कोई सोच सकता है कि एक इस्लामी देश में शिया मुसलमानों को जमात से नमाज़ पढ़ने तक की अनुमति नहीं है।
नई दिल्ली में बहरैन सरकार के ख़िलाफ़ हुए प्रदर्शन में सैकड़ों की संख्या में शामिल हुए लोगों के साथ-साथ बड़ी संख्या में दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों के मुस्लिम धर्मगुरुओं ने भी भाग लिया।
source : abna24