उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सोमवार को ईदुल अज़हा के अवसर पर शिया और सुन्नी मुसलमानों ने एक साथ एक जमात में नमाज़ पढ़कर मुसलमानों के बीच एकता और भाईचारे की मिसाल क़ायम की है।
लखनऊ शहर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच साम्प्रदायिक मतभेदों के लिए जाना जाता रहा है, लेकिन पिछले कई वर्षों से यही शहर अब मुसलमानों के इन दो प्रमुख समुदायों के बीच एकता की भी मिसाल बन रहा है।
जहां तक संघर्ष की वजह का सवाल है तो लखनऊ में सुन्नी धर्मगुरु मौलाना ख़ालिद रशीद फ़िरंगी महली कहते हैं कि शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच धार्मिक मतभेद बहुत गहरे नहीं हैं, इसलिए कि दोनों ही एक ईश्वर, उसके दूत और क़ुरान पर विश्वास रखते हैं, जो इस्लाम के बुनियादी सिद्धांत हैं।
फिरंगी महली कहते हैं कि सभी धर्म और पंथ शांति की ही बात करते हैं, इसलिए इनके बीच लड़ाई नहीं होनी चाहिए।
वहीं शिया धर्मगुरु मौलाना क़ल्बे सादिक़ कहते हैं कि शिया और सुन्नी दोनों ही शांतिप्रिय हैं। कई बार कुछ बातों को लेकर दोनों के बीच ग़लतफ़हमी होती है और ग़लतफ़हमी और नासमझी दोनों के बीच फ़साद की वजह बन जाती है।
क़ल्बे सादिक़ के मुताबिक़ दोनों पंथों में महज़ तीन फ़ीसद लोग नफ़रत पर आधारित सोच रखने वाले हैं। लेकिन यही लोग कई बार बड़े झगड़े करा देते हैं।
source : abna24