आयतुल्लाह शहीद शेख बाकिर अल निम्र की पहली बरसी के अवसर पर हुई मजलिस में उल्मा और मोमेनीन ने बडी संख्या में शिरकत की, मौलाना ने कहा कि शेख निम्र की शहादत के बाद सऊदी अरब का पतन निश्चित है जिसकी शुरुआत हो चुकी है।
आयतुल्लाह शहीद शेख बाकिर अल निम्र की पहली बरसी के मौके पर दरगाह हजरत अब्बास रुस्तम नगर लखनऊ में मजलिसए ओलमाये हिन्द द्वारा एक मजलिस का आयोजन किया गया था। इस मजलिस को मजलिसए ओलमाये हिन्द के महासचिव मौलाना सैयद कल्बे जव्वाद नकवी ने संबोधित किया। मजिलस को संबोधित करते हुए मौलाना कल्बे जव्वाद नकवी ने कहा कि शहीद का खून बेकार नहीं जाता यह अल्लाह का वादा है। जालिमों ने एक धर्मगुरू की सच्चाई और न्याय की माँग को अपराध का नाम देकर फांसी दे दी। फांसी देने का ये फैसला सऊदी शासकों के इन्साफ, सत्यता, इन्सानियत और इस्लाम दुश्मनी का स्पष्ट सबूत है। आयतुल्लाह शहीद शेख बाकिर अल निम्र मुसलमानों के अधिकारों की वसूली, चरमपंथी आतंकवाद के खिलाफ और न्याय के लिए संघर्ष कर रहे थे ,जालिम सऊदी सरकार कभी इंसाफ मांगने वालों को जिंदा देखना नहीं चाहती इसीलिए उन्हें कई बार गिरफ्तार किया गया और शारीरिक व मानसिक यातनाएं दी गईं मगर जो अल्लाह के लिए जीता है वह मौत से नहीं डरता।
मौलाना ने कहा के शहादत का जिक्र करना जिन्दा कौमों की निशानी है। शहादत कौमों के ख़्यालात, फिक्र और नजरियात में इन्किलाब पेदा करती है। जो कौमें अपने शहीदों को याद नहीं करतीं वे समाप्त हो जाती हैं। मौलाना ने कहा कि कि शहीद की कुरबानी बर्बाद नहीं हो सकती। यह प्रकृति व कुदरत के कानुन के खिलाफ है ।शहादत एक हथियार है जिससे जालिम खुद अपनी गर्दन काट लेता है। मौलाना ने कहा कि शेख़ बाकिर अल निम्र की शहादत के बाद सऊदी सरकार का पतन हुआ और इंशाअल्लाह अब इससे भी अधिक बुरे दिन देखना बाकी हैं शहीद का खून रंग लाता है और दुनिया जालिम सऊदी अरब सरकार की बर्बादी देख रही है।
मजलिस कुरान की तिलावत से शुरू हुई। उसके बाद शायरों ने शहीद निम्र को श्रद्धांजलि दी। मजलिस से पहले मौलाना फिरोज हुसैन ने शहीद आयतुल्लाह बाकिर अल निम्र के बलिदान का उल्लेख किया। मौलाना साबिर अली इमरानी ने शहीद को अशआर के द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित की। मजलिस में मौलाना रजा हुसैन, मौलाना हैदर अब्बास, मौलाना फ़िरोज हुसैन, मीसम रिजवी, हिदायत नवाब इमरान नकवी, और अन्य उल्मा व मोमनीन ने भाग लिया।
आयतुल्लाह शहीद बाकिर अल निम्र की पहली बरसी पूरी दुनिया में मनाई जा रहा है। लखनऊ में मजलिसए ओलमाये हिन्द की ओर से इस संबंध की पहली मजलिस दरगाह हजरत अब्बास रुस्तम नगर में आयोजित हुई। दूसरी मजलिस 6 जनवरी को नमाजे जुमा के बाद आसिफ़ी मस्जिद में आयोजित हुई जिसे मौलाना नकी अस्करी साहब ने संबोधित किया। मजलिस में शरीक होकर मोमेनीन ने अत्याचार के विरुद्ध प्रदर्शन किया।