इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई ने जवानी और छात्रकाल को ट्रेन के इंजन के समान बताया जो इंसान को उसके बड़े लक्ष्यों की प्राप्ति में सक्षम बनाते हैं।
इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर ने यूरोपीय देशों में शिक्षा प्राप्त कर रहे हे छात्र संगठनों की युनियन के नाम अपने संदेश में कहा कि आप प्रिय युवाओं से हमारी अपेक्षा शैक्षिक, धार्मिक और नैतिक दृष्टि से आत्म निर्माण से अधिक है, हमारी अपेक्षा यह है कि आप अपने परिसर को प्रभावित करें तथा अपने कथनों और कर्मों से ईश्वर के मार्ग पर चलने वालों की संख्या बढ़ाएं।
आध्यात्मिक विचारों के प्रचार प्रसार में युवाओं की प्रभावी भूमिका पर बल दिया जाना विशेष अर्थ रखता है। इस समय जब कुछ समाजों में युवा चरमपंथी विचारधाराओं में फंस गए हैं, युवाओं की यह नई भूमिका बहुत निर्णायक है। युवा तो भविष्य की पूंजी और रचनाकार होते हैं लेकिन साथ ही उन पर चरमपंथी विचारधाराओं का हमला भी बहुत तेज़ होता है। इसका नतीजा पश्चिमी समाजों में युवाओं का अध्यात्म से दूर होकर नस्लवाद और चरमपंथ की ओर बढ़ना है जो इन समाजों की जटिल समस्या बन गया है।
इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर ने नवम्बर 2015 में एक पत्र में पश्चिमी देशों के युवाओं से खुलकर बात की थी। इससे पहले जनवरी 2014 में भी उन्होंने यूरोपीय तथा उत्तरी अमरीका के युवाओं के नाम एक पत्र लिखा था।
इस्लामी इंक़ेलाब के वरिष्ठ के इन दोनों पत्रों का एक संयुक्त बिंदु यह था कि युवाओं को उन्होंने यह दावत दी कि इस्लाम को प्रत्यक्ष रूप से पहचानें साथ ही इस्लाम के इतिहास तथा क्षेत्र में साम्राज्यवादी की गतिविधियों का अध्ययन करें।
आज जो देश आतंकी संगठन दाइश के हमलों और गतिविधियों का केन्द्र बन गए हैं, वास्तव में वह अपने युवाओं की एक संख्या को गवां चुके हैं। सामाजिक, राजनैतिक और नैतिक समस्याओं के नतीजे में यह देश आगे ही कई साल तक कठिनाइयों से जूझते रहेंगे। युवाओं के विचारों में नकारात्मका भर देने का अर्थ यह है कि समाज का ढांचा ध्वस्त होने जा रहा है। आज भी अमरीका के नेतृत्व में साम्राज्यवादी देश चरमपंथ और आतंकवाद को साधन के रूप में प्रयोग कर रहे हैं।
युवाओं का मुद्दा इतना गंभीर हो चला है कि युवाओं के नाम इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर का पत्र प्रकाशित होने के दो सप्ताह बाद संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद ने एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें युवाओं को चरमपंथ से मुक़ाबले और शांति की स्थापना में प्रभावी अभियान का इंजन बताया। युवाओं के मामलों में संयुक्त राष्ट्र संघ के विशेष दूत अहमद अलहिंदावी ने प्रस्ताव को बहुत महत्वपूर्ण बताया। यह वही बिंदु है जिसे यूरोप में ईरानी छात्रों के संगठनों की युनियन के नाम अपने संदेश में इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर ने बल दिया है।