अहलेबैत समाचार एजेंसी अबना की रिपोर्ट के अनुसार ईरान की राजधानी तेहरान में जुमे की नमाज़ के अस्थायी इमामे जुमा आयतुल्लाह सैयद अहमद ख़ात्मी ने इराक़, सीरिया, यमन और लीबिया में वहाबी आतंकवादियों के समर्थन पर सऊदी अरब की निंदा करते हुए कहा है कि सऊदी अरब दुनिया में आतंकवाद की ट्रेनिंग का सबसे बड़ा शिविर है जहाँ से पूरी दुनिया में वहाबी आतंकवादियों को सहायता प्रदान की जाती है।
प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार ईरान की राजधानी तेहरान में जुमे की नमाज के अस्थायी खतीब आयतुल्लाह सैयद अहमद ख़ात्मी ने इराक, सीरिया, यमन और लीबिया में वहाबी आतंकवादियों के समर्थन पर सऊदी अरब को आड़े हाथों लेते हुए कड़े शब्दों उसकी निंदा की।
उन्होंने कहा कि सऊदी अरब पर मुट्ठी भर अज्ञानी और मूर्ख लोग हुकूमत कर रहे हैं जो वहाबी आतंकवादियों का प्रशिक्षण करके उन्हें दुनिया के विभिन्न देशों में भेजा करते हैं। वहाबी आतंकवादी संस्थाओं और संगठनों के अक्सर नेताओं और कमांडरों का संबंध सऊदी अरब से है यहाँ तक 11 सितंबर की घटना में भी 15 आतंकवादियों का संबंध सऊदी अरब से था।
उन्होंने कहा कि सऊदी अरब के प्रतिक्षित आतंकवादियों के हाथों अब तक हजारों अमेरिकी नागरिक मारे जा चुके हैं लेकिन फिर भी 7 इस्लामी देशों के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों की सूची में सऊदी अरब का नाम शामिल नहीं है!!!!
क्योंकि सऊदी अरब का इस्लाम अमेरिकी इच्छा का इस्लाम है हालांकि अमेरिकी प्रतिबंधों की चपेट में आने वाले 7 इस्लामी देशों में एक भी अमेरिकी नागरिक मारा नहीं गया है क्योंकि वास्तविक इस्लाम किसी व्यक्ति की गर्दन काटने की अनुमति नहीं देता है।
उन्होंने कहा कि आतंकवाद कैम्प नामक पुस्तक में ऐसे 89 प्रमाण मौजूद हैं जिनमें ठोस सबूत पेश किए गए हैं कि सऊदी अरब में नियमित रूप से वहाबी आतंकवादियों को प्रशिक्षण दिया जाता है।
उन्होंने कहा कि अमेरिका का आतंकवाद में संलिप्तता के सभी ठोस सबूतों के बावजूद सऊदी अरब के खिलाफ कोई कदम न उठाना इस बात का सबूत है कि अमेरिका और सऊदी अरब दोनों आतंकवादियों का समर्थन कर रहे हैं और आरोप की उंगली दूसरों पर उठा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अमेरिका को सऊदी अरब के अमेरिकी इस्लाम से कोई मुश्किल नहीं बल्कि उसकी दुश्मनी शुद्ध इस्लाम से है जो दुनिया को दया और प्रेम का पैगाम पहुंचाता है जबकि सऊदी अरब की वहाबी विचारधारा और अमेरिका के सिद्धांत समान है दोनों के दृष्टिकोणों में आदमी की कोई क़दर व क़ीमत नहीं है। यही कारण है कि अमेरिका फिलिस्तीन और यमन में इस्राईल और सऊदी अरब के अमानवीय, बर्बर और भयानक अपराधों का भरपूर समर्थन कर रहा है।
उन्होंने ईरान के मिसाइल परीक्षण को ईरान की अखंडता और शक्ति का सूचक बताते हुए कहा कि अमेरिका और उसके सहयोगी चाहते हैं कि अगर ईरान खाली हाथ हो और वह उनके लिए आसान कौर बन जाए। लेकिन ईरान की मिसाइल प्रणाली ईरान की सत्ता, दृढ़ता और राष्ट्रीय गौरव का परिचायक है दुनिया की इस जंगली शासन प्रणाली में हर कोई गरीब देश पर सीना तान के सवार हो जाता है। इसलिए राष्ट्रीय प्रतिरक्षा के लिए हमारे पास कुछ न कुछ होना चाहिए।
उन्होंने इस्लामी क्रांति की बरकतों की ओर इशारा करते हुए कहा कि इस्लामी क्रांति ने हमें सम्मान, आज़ादी व स्वतंत्रता और बौद्धिक प्रगति व विकास का पाठ पढ़ाया है और इस्लामी क्रांति ने ईरानी राष्ट्र के अंदर ताजा जान फूंकी है और राष्ट्र के अंदर आशा और विश्वास की भावना को दृढ़ बनाने के संबंध में हमें अपनी जिम्मेदारी पर अमल करना चाहिए।