Hindi
Wednesday 27th of November 2024
0
نفر 0

हज़रत ज़ैनब स.अ की ज़िंदगी पर एक निगाह।

हज़रत ज़ैनब स.अ की ज़िंदगी पर एक निगाह।

अबनाः हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा हज़रत इमाम अली अ. और हज़रत ज़हरा स. की बेटी हैं जो सन 5 या 6 हिजरी को मदीना में पैदा हुईं। आप इमाम हुसैन अ. के साथ कर्बला में मौजूद थीं और 10 मुहर्रम वर्ष 61 हिजरी को जंग ख़त्म हो जाने के बाद यज़ीद की फ़ौज के हाथों बंदी बंदी बनाई गईं और उन्हें कूफ़ा और शाम ले जाया गया। उन्होंने कैद के दौरान, दूसरे बंदियों की सुरक्षा और समर्थन के साथ साथ, अपने भाषणों के माध्यम से बेखबर लोगों को सच्चाई से अवगत कराती रहीं।
हज़रत ज़ैनब अ. ने बचपन के दिनों में अपने बाबा हज़रत अली अ. से पूछा: बाबा जान, क्या आप हमें प्यार करते हैं?
अमीरूल मोमेनीन हज़रत अली अ. ने फ़रमाया: मैं तुमसे प्यार क्यों न करूँ, तुम तो मेरे दिल का टुकड़ा हो।
इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम से आपका ख़ास लगाव।
हज़रत ज़ैनब (स) बचपने से ही इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम से बहुत प्यार करती थीं। जब कभी इमाम हुसैन (अ) आपकी आँखों से ओझल हो जाते तो बेचैन हो जाती थीं और जब आप भाई को देखतीं तो ख़ुश हो जाती थीं।
अगर झूले में रो पड़तीं तो भाई हुसैन (अ) के दर्शन करके या आपकी आवाज़ सुनकर शांत हो जाती थीं। दूसरे शब्दों में इमाम हुसैन (अ) का दर्शन या आपकी आवाज़ ज़ैनब (स) के लिए आराम और सुकून का कारण था।
इसी अजीब प्यार के मद्देनजर एक दिन हज़रत ज़हरा (स) ने यह बात रसूले अकरम (स) को बताई तो आपने स. फरमाया: "ऐ मेरी बेटी फ़ातिमा यह बच्ची मेरे हुसैन (अ) के साथ करबला जाएगी और भाई की मुसीबतों, दुखों और संकटों में उसकी भागीदार होगी।
आशूर के दिन आप अपने दो कम उम्र लड़कों औन और मोहम्मद को लेकर इमाम हुसैन (अ) के पास आई और कहा मेरी यह भेंट स्वीकार करें अगर ऐसा न होता कि जेहाद महिलाओं के लिए जाएज़ नहीं है, तो मैं अपनी जान आप पर क़ुरबान कर देती।

0
0% (نفر 0)
 
نظر شما در مورد این مطلب ؟
 
امتیاز شما به این مطلب ؟
اشتراک گذاری در شبکه های اجتماعی:

latest article

चेहलुम के दिन की अहमियत और आमाल
हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम
इमाम सज्जाद अलैहिस्सलमा का जन्म ...
म्यांमार अभियान, भारत और ...
मोमिन की नजात
पैग़म्बरे इस्लाम (स.) के वालदैन
शेख़ शलतूत का फ़तवा
ख़ुत्बाए फ़ातेहे शाम जनाबे ज़ैनब ...
आदर्श जीवन शैली-३
ब्रह्मांड 6

 
user comment