अबनाः सऊदी अरब के सुरक्षा बलों ने विश्व कुद्स दिवस के अवसर पर अलअवामिया क़स्बे के अलमसूरा मोहल्ले का परिवेष्टन करके लोगों पर हमला कर दिया। वहां के लोग कुद्स के अतिग्रहकारियों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे।
वर्ष 2011 से सऊदी अरब का पूर्वी क्षेत्र इस देश की तानाशाही शासन की भेदभावपूर्ण पर आधारित नीतियों पर आपत्ति के जताने के केन्द्र में परिवर्तित हो गया है और इन विरोधों में अब तक दसियों व्यक्ति मारे जा चुके हैं जबकि काफी संख्या में दूसरे घायल भी हुए हैं।
इस बात में कोई संदेह नहीं है कि देश के भीतर न केवल सऊदी अरब की आंतरिक नीतियों का विरोध रहा है बल्कि उसकी विदेश नीति पर भी देश के भीतर और इस्लामी जगत में विस्तृत पैमाने पर आपत्ति जताई जा रही है।
आले सऊद की नीतियां व कार्यवाहियां इस बात की सूचक हैं कि वहां की तानाशाही सरकार में फिलिस्तीनी जनता के अधिकारों का कोई स्थान नहीं है।
इसी तरह मुसलमानों के पहले किबले का भी सऊदी अरब की अलोकतांत्रिक सरकार में कोई स्थान नहीं है जबकि वह स्वयं को इस्लाम का सेवक कहती है। यही नहीं सऊदी अरब की तानाशाही सरकार ने फिलिस्तीनियों के अधिकारों को उन्हें दिलाने की दिशा में न केवल कोई कदम नहीं उठाया है बल्कि कुद्स पर जायोनी शासन के अतिग्रहण को मजबूत करने के लिए इस्राईल और पश्चिम के षडयंत्र में उसने हां में हां भी मिलाया है।
इसी परिप्रेक्ष्य में आले सऊद के अधिकारियों को फिलिस्तीनियों के पक्ष में आवाज़ उठाना बिल्कुल पसंद नहीं है और ऐसा करने वालों का वे कड़ाई से दमन करते हैं।
विश्व कुद्स दिवस के अवसर पर आले सऊद के सुरक्षा बलों ने अलअवामिया क्षेत्र में इस्राईल के विरुद्ध प्रदर्शन करने वालों के विरुद्ध जो कार्यवाही की उससे सिद्ध हो गया कि मुसलमानों का खून बहाने में सऊदी अरब जायोनी शासन के साथ है।