ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि फ़िलिस्तीनियों के ऊपर लगातार ज़ुल्म व ज़्यादती और उन्हें मस्जिदुल अक़्सा में प्रवेश से रोकने से यह स्पष्ट हो गया है कि फ़िलीस्तीन की समस्या आज भी इस्लामी जगत का महत्वपूर्ण मुद्दा है।
ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता बहराम क़ासेमी ने अधिकृत बैतुल मुक़द्दस में फ़िलीस्तीनियों पर बढ़ते अत्याचारों और उन्हें मस्जिदु अक़्सा में नमाज़ पढ़ने से रोके जाने की कड़े शब्दों में निंदा की है।
बहराम क़ासेमी ने कहा कि विश्व जनमत, मीडिया, इंसाफ़ पसंद इंसानों, विभिन्न राष्ट्रों और सरकारों की ज़िम्मेदारी है कि वे अतिग्रहणकारी ज़ायोनी शासन की अमानवीय व हिंसक कार्यवाहियों के मुक़ाबले में फ़िलीस्तीन की मज़लूम जनता का समर्थन करें।
उन्होंने यह बात बल देकर कही कि मुसलमानों के पहले क़िबले के तौर पर मस्जिदुल अक़्सा को दुनिया के सभी मुसलमानों और फ़िलिस्तीनियों की दृष्टि में एक विशेष महत्व प्राप्त है जबकि ज़ायोनी शासन इस क्षेत्र में आतंकवाद की मूल जड़ बना हुआ है।
ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन, विशेष रूप से बैतुल मुक़द्दस में लगातार बिगड़ती स्थिति पर इस्लाम और मुसलमानों के नेतृत्व का दम भरने वाले कुछ देशों की चुप्पी की भी कड़ी आलोचना की है।
बहराम क़ासेमी ने अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र संघ से अपील की है कि वह ज़ायोनी शासन की नस्लवादी और रंगभेदी नीतियों के ख़िलाफ़ ठोस रुख अपनाए।
ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने विश्वभर में मौजूद मानवाधिकारों की संस्थानों विशेष रूप से मानवाधिकार परिषद और यूनेस्को से भी मांग की है कि वह अपने दायित्वों का पालन करें और इस्राईल के अमानवीय और अत्याचारों
का सिलसिला बंद करवाने में अपने अधिकारों का इस्तेमाल करें।