प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार भारत में अज़ादारी का केन्द्र कहे जाने वाले लखनऊ के युवा अज़ादार, मोहर्रम के अवसर पर होने वाली शोक सभाओं और जुलूसों की परंपरागत शक्ल को बरक़रार रखते हुए उसको और अधिक संगठित करने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं।
कुछ साल पहले शुरू हुए “clean juloos” नामक कम्पेन जिसको लखनऊ के मुस्लिम यूथ नामक संस्था द्वारा अंजाम दिया जाता है, उसकी सफलता के बाद इस वर्ष “सालेहीन” नामक संगठन की ओर से युवाओं की एक विशाल टीम ने लखनऊ के चेहलुम के जुलूस में भाग लेकर नई पीढ़ी के युवाओं में ज़्बरदस्त जोश भर दिया।
कई वर्षों से लखनऊ के चेहलुम के जुलूस में “क्लीन जुलूस” नामक कम्पेन में पहले जहां कुछ युवा थे अब उसकी संख्या बढ़कर सैकड़ों में हो गई है। लखनऊ के शिया धर्मगुरूओं के साथ-साथ स्थानीय प्रशासन और जुलूस में भाग लेने वाले अधिकतर श्रद्धालु, युवाओं द्वारा लगातार जुलूस में साफ़ सफाई के कामों की प्रशंसा करते दिखाई देते हैं। जुलूस में शामिल अज़ादारों का कहना है कि युवाओं के इस क़दम से हम करबला वालों के सही उद्देश्य को दूसरे धर्मों के मानने वालों तक पहुंचाने में सफल हो रहे हैं।
दूसरी ओर इस वार्ष से लखनऊ के ऐतिहासिक जुलूस में “सालेहीन” नामक संस्था की मदद से युवाओं का एक विशाल मातमी दस्ता शामिल हुआ, जिसने चेहलुम के जुलूस में शामिल तमाम श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित कर लिया। सालेहीन के बैनर तले लगभाग एक हज़ार युवा एक अंजुमन की शक्ल में जुलूस में शामिल हुए थे। इस मातमी दस्ते के सारे युवा काली टी-शर्ट पहने थे जिसपर अरबी भाषा में “हैहात मिन्ना ज़िल्ला” लिखा था इसी तरह इन युवाओं के हाथों और माथे पर हरी पट्टियां बंधी हुई थीं जिनपर “लब्बैक या हुसैन” लिखा था।
जब एक हज़ार युवा एक साथ लब्बैक या हुसैन, लब्बैक या ज़ैनब, लब्बैक या इमाम और लब्बैक या ख़ामेनई के गगनभेदी नारे लगा रहे थे तो वहां से गुज़रने वाले के क़दम वहीं पर रुक जा रहे थे। गुज़रने वाले इन युवाओं के इस जज़्बे को सलाम किए बिना नहीं रह पा रहे थे।
चेहलुम के इस वर्ष के जुलूस में इन युवाओं के साथ इस्लामी हिजाब में युवतियां भी शामिल थीं जिनके हाथों में स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी, इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई, इराक़ के वरिष्ठ शिया धर्मगुरू आयतुल्लाह सीस्तानी, हिज़बुल्लाह के महासचिव सैयद नसरुल्लाह, नाइजीरिया के वरिष्ठ शिया धर्मगुरू आयतुल्लाह शेख़ ज़कज़की और सऊदी अरब के वरिष्ठ शिया धर्मगुरू शहीद शेख़ निम्र के फ़ोटो थे। हिजाब पहने यह युवतियां लब्बैक या ज़ैनब के नारे लगा रहीं थीं।