हुज्जतुल इस्लाम काज़िम सिद्दीक़ी ने जुमे की नमाज़ के विशेष भाषण में दाइश के अंत का उल्लेख करते हुए कहा कि अमरीका, ज़ायोनी शासन और सऊदी अरब दाइश के ज़रिए क्षेत्र में अराजकता, जंग, झड़प और अशांति फैलाना चाहते थे लेकिन उनकी साज़िशें नाकाम हो गयीं।
उन्होंने कहा कि मानव इतिहास में कोई ऐसा अपराध नहीं है जो दाइश ने न किया हो। उन्होंने कहा कि बेगुनाह लोगों का जनसंहार, उनकी गर्दने काटना, उन्हें आग में जलाना और मस्जिदों को ध्वस्त करना दाइश के अपराध का एक भाग है।
हुज्जतुल इस्लाम काज़िम सिद्दीक़ी ने दाइश पर जीत के तत्वों में वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई के मार्गदर्शन, आयतुल्लाह सीस्तानी के योगदान, आईआरजीसी की क़ुद्स ब्रिगेड के कमान्डर जनरल क़ासिम सुलैमानी की जंग के मैदान में युक्ति, इराक़ और सीरिया की सरकारों और इन दोनों देशों के स्वंय सेवी बल की ईश्वर पर आस्था और स्वंयसेवी बल की शहादत पाने की इच्छा, और इराक़ व सीरिया की सरकारों को ईरान की ओर से समर्थन को गिनवाया।
उन्होंने इस बात का उल्लेख करते हुए कि दुश्मन अभी भी ईरानोफ़ोबिया फैलाने की कोशिश में है, कहा कि दुश्मन ईरानोफ़ोबिया के ज़रिए इस्लामी गणतंत्र व्यवस्था को नुक़सान पहुंचाना चाहता है लेकिन इस्लामी गणतंत्र व्यवस्था दिन प्रतिदिन मज़बूत होती जा रही है।